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इस रात की सुबह नहीं, इस कहावत को मात्र 40 मिनट में बदलता है धरती का ये हिस्सा

यहां रात 12 बजकर 43 मिनट पर सूरज छिपता है और महज 40 मिनट के बाद उग आता है।

उदयपुरJan 24, 2018 / 11:01 am

Ravi Gupta

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नई दिल्ली। रोज़ की भाग-दौड़ के बाद रात में हर इंसान शान्ति से दो सुकून के पल काटना चाहता है ताकि दूसरे दिन की सुबह में फिर से काम करने की उर्जा व ताकत उसमें भरी रहें। दिनभर की भागदौड़ के बाद हर इंसान रात के सुकून को पसंद करता है। रात में 7-8 घंटे की नींद हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे मन को सुकून प्रदान करता है, लेकिन ज़रा सोचें कि अगर यहीं 7-8 घंटे केवल 40 मिनट में तब्दील हो जाएं तो फिर क्या होगा, सुनने में ये बात थोड़ा अजीब ज़रूर लग सकता है लेकिन ये सच है।
आज हम आपको दुनिया में स्थित एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां रात सिर्फ 40 मिनट की होती है। जी, हां यहां हम बात कर रहे हैं नार्वे की। यहां रात 12 बजकर 43 मिनट पर सूरज छिपता है और महज 40 मिनट के बाद उग आता है।
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ये बात जानकर सबके मन में एक ही सवाल आ रहा होगा कि क्या यहां पूरे साल ऐसा होता है? तो इसके बारे में हम आपको बताते हैं, दरअसल नॉर्वे आर्किटिक सर्कल के अंदर आता है। यहां 40 मिनट की रात साल के मई से जुलाई के बीच होती है और इसी कारण के चलते नॉर्वे को इंट्री ऑफ मिडनाइट सन कहा जाता है। यहां की नेचुरल ब्यूटी इसे दूसरे देशों से अलग बनाती है। इस खूबसूरत देश की सीमाए पूर्व मे स्वीडन से लगती है और उत्तर मे कुछ क्षेत्र की सीमाएं फिनलैण्ड और रूस से लगती हैं। चलिए अब हम आपको बताते है कि आखिर यहां पर ऐसा क्यों होता है?
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दरअसल 21 जून और 22 दिसंबर की तारीखें ऐसी हैं जिनमें सूरज की रोशनी धरती के समान भागों में नहीं फैल पाती है,ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी 66 डिग्री को एंगल बनाते हुए घूमती है और इसी झुकाव की वजह से दिन और रात की टाइम में काफी अंतर आता है।
नॉर्वे में 40 मिनट की रात 21 जून वाली स्थिति से होती है क्योंकि इस समय 66 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 90 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक धरती का सम्पूर्ण हिस्सा सूरज की रोशनी में रहता है और जिससे सूरज सिर्फ 40 मिनट के लिए ही डूबता है।हालांकि नार्वे को अपनी इसी खूबी के चलते दुनियाभर में जाना जाता है और दूर-दूर से लोग इसी नज़ारे को देखने के लिए यहां आते हैं।

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