भारत में नहीं दिखा ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट, दुनिया में वैक्सीन को लेकर यह है लेटेस्ट अपडेट उन्होंने कहा, “बहुत सारा मार्गदर्शन दिया जाएगा, लेकिन मुझे लगता है कि एक औसत व्यक्ति, एक स्वस्थ युवा व्यक्ति को टीका लगवाने के लिए 2022 तक इंतजार करना पड़ सकता है।” एक प्रभावी वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद किस जगह और आयु के व्यक्ति को इसका टीका देने की प्राथमिकता दी जाएगी, यह प्रश्न उतना ही विवादास्पद है जितना आखिरकार वैक्सीन के लिए इंतजार कब खत्म होगा।
इन दोनों सवालों के बारे में डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक ने कहा कि कम से कम 2021 तक एक सुरक्षित और प्रभावी टीका उपलब्ध होगा। लेकिन यह “सीमित मात्रा में” उपलब्ध होगा और इसलिए कमजोर लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।
स्वामीनाथन ने कहा, “लोग सोचते हैं कि पहली जनवरी या अप्रैल की पहली तारीख को मुझे वैक्सीन लग जाएगी और फिर चीजें सामान्य हो जाएंगी। लेकिन यह इस तरह ससे काम नहीं करेगा।” चीन और रूस जैसे देश जो अपनी आबादी को टीका लगा रहे हैं, वे भी टीकाकरण में प्राथमिकता पैटर्न का पालन कर रहे हैं।
जुलाई 2021 तक भी COVID-19 Vaccine पूरे देश को नहीं मिल पाएगी! स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा का है यह मतलब रिपोर्टों में कहा गया है कि चीन ने जुलाई में अपनी सेना का टीकाकरण किया और अब सरकारी अधिकारियों, स्टोर स्टाफ और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को दे रहा है। यह उन छात्रों को भी टीके लगा रहा है, जो पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं। रूस ने फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के अलावा टीकाकरण में पत्रकारों को भी प्राथमिकता दी।
भारत में एक उच्च-स्तरीय समिति इस प्राथमिकता प्रक्रिया को पूरा करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने हाल ही में कहा था कि टीकाकरण के लिए व्यवसायिक खतरे, संक्रमण के जोखिम, पूरे स्वास्थ्य आदि जैसे जोखिमों के आधार पर समूहों को प्राथमिकता दी जाएगी। राज्यों को प्राथमिकता वाले उन जनसंख्या समूहों की सूची प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है जिन्हें पहले वैक्सीन प्राप्त करने की जरूरत है, जैसे निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के डॉक्टर, नर्स, स्वच्छता कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, निगरानी अधिकारी आदि।