लोगों को जागरूक करने के लिए लॉंच किया गया था अभियान: रेलवे प्रवक्ता
आपको बता दें कि मीडिया से बात करते हुए रेल मंत्रालय के प्रवक्ता राजेश वाजपेयी ने कहा कि इस अभियान का मकसद रेल यात्रियों को जागरूक करना था कि रेल यात्रा के दौैरान कितना सामान लेकर चलना चाहिए, क्योंकि आवश्कता से अधिक सामान लेकर चलने से दूसरे यात्रियों को परेशानी होती है। वाजपेयी ने कहा कि बीते 6 दिनों के अभियान में यह महसूस किया गया कि भयंकर गर्मी में सफर के दौरान यात्रियों द्वारा आवश्कता से अधिक सामान ले जाने के कारण साथी यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बन रहा है। इसलिए एक विशेष शिक्षा सह-जागरूकता अभियान लॉन्च किया गया था। उन्होंने बताया कि रेलवे में अलग-अलग श्रेणी के हिसाब से किराया दे कर सामान ले जाने के लिए प्रावधान है तो वहीं लोगों को यह बताना था कि आप मुफ्त में कितने किलोग्राम तक सामान ले जा सकते हैं।
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क्या था नियम
आपको बता दें कि रेलवे ने देशभर के सभी रेल मंडलों में 8 से 22 जून तक एक अभियान चलाने का फैसला किया था। इस अभियान के तहत रेलवे ट्रेन में अधिक सामान लेकर यात्रा करने वाले यात्रियों पर विशेष नजर रख सकती थी। इस बाबत रेलवे ने एक नई गाइडलाइन जारी की थी और बताया था कि यात्री किस तरह के ट्रेन में कितना सामान लेकर यात्रा कर सकेंगे। यदि रिजर्वेशन कोच की बात करें तो फर्स्ट एसी में सामान ले जाने की सीमा 70 किलो है जबकि अधिकतम छूट 15 किलो है। वहीं सेकेंड एसी में ये सीमा 50 किलो और अधिकतम छूट 10 किलो है। इसके अलावा बात करें तो थर्ड ऐसी में मुफ्त सीमा 40 किलो है जबकि अधिकतम छूट 10 किलो है। रेलवे ने इसके अलावे स्लीपर और जनरल क्लास में सफर करने वाले यात्रियों के लिए भी सामान लेकर यात्रा करने पर सीमा निर्धारित की है। स्लीपर में यात्रा करने के दौरान यात्री अपने साथ 40 किलो सामान मुफ्त में ले जा सकेंगे जबकि अधिकतम छूट 10 किलो है। वहीं जनरल क्लास की बात करें तो मुफ्त सामान ले जाने की सीमा 35 किलो है और अधिकतम छूट की सीमा यहां पर भी 10 किलो है। बता दें कि एक रेलवे अधिकारी ने बताया कि इन सभी श्रेणियों में निःशुल्क सीमा से अधिक सामान ले जाने के लिए यात्री को पहले बुक कराना होगा। यदि गंतव्य स्थान पर पहुंचने के बाद जांच में यह पाया जाता है कि यात्री ने तय सीमा का उल्लंघन किया है तो उसे पार्सल चार्ज का 6 गुना अधिक अथवा न्यूनतम 50 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा।