विविध भारत

दावा: पेगासस साॅफ्टवेयर से भारतीय पत्रकारों और नेताओं की हो रही जासूसी, सरकार ने किया इंकार

द वाशिंगटन पोस्ट में पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) के नाम से छपी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजराइली सॉप्टवेयर के माध्यम से दुनिया भर के विपक्षी नेताओं और पत्रकरों समेत कई लोगो के फोन टैप या हैक किए गए हैं।

Jul 19, 2021 / 01:15 pm

Ashutosh Pathak

आम आदमी को फोन हैक होने का डर सताता ही रहता है लेकिन पत्रकारों और नेताओं के फोन टेप होना एक आम बात हो चुकी है। ऐसा ही एक और कथित मामला सामने आया है. अमेरिका के अखबार द वाशिंगटन पोस्ट ने 16 अन्य मीडिया संस्थाओं के सहयोग से ‘द पेगासस प्रोजेक्ट’ नाम से एक रिपोर्ट जारी करते हुए दावा किया है कि प्राइवेट इज़राइली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिये कई विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, व्यापारी, अधिकारियों और दो महिलाओं समेत दुनियाभर के 37 फोन हैक किए गए हैं।
बता दें कि जिन दो महिलाओं के फोन हैक किए गए हैं, वे सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खसोगी की हत्या से भी जुड़ी हुई थी। लिस्ट में 50 हज़ार से ज्यादा नम्बर लिखे हुए थे, जिनमें भारत के भी कई नम्बर थे।
भारत में भी की गई जासूसी
न्यूज वेबसाइट द वायर के मुताबिक पेगासस के स्पाइवेयर के माध्यम से भारत के 300 लोगों के फोन हैक या टैप किए गए, इनमें 40 पत्रकारों समेत मंत्री, विपक्षी नेता, व्यापारी, सरकारी अफसर, एक्टिविस्ट, वैज्ञानिक व कुछ कम्युनिस्ट भी शामिल हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि द वायर, द इंडियन एक्सप्रेस, द पायोनिर, द हिंदू, न्यूज 18 और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे कई ऐसे मीडिया संस्था हैं, जिनसे जुड़े पत्रकारों के फोन टैप किए गए हैं। जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एजेंसी ने साल 2017 से लेकर 2019 तक इन पत्रकारों के फोन टैप करते हुए इनकी गतिविधियों की निगरानी की जा रही थी।
भारत सरकार ने नकार दिए आरोप
भारत सरकार ने आरोपों का खंडन करते हुए बयान जारी किया कि, ‘ये सारे आरोप आधारहीन है और किसी की भी जासूसी नहीं की गई। इससे पहले भी ये आरोप लगे थे लेकिन वे भी निराधार निकले, तब भी आईटी मंत्री ने विस्तार से सदन में इसको लेकर बात रखी थी की सरकारी एजेंसियों द्वारा किसी के फोन टैप नहीं किए गए, फोन टैपिंग का काम किसी बड़ी वजह या राष्ट्रीय सुरक्षा को मद्देनजर रखते ही किया जाता है अथवा नहीं।’
सरकार ने अपने बयान में इस रिपोर्ट को बोगस करार देते हुए पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया।
जरूर पढ़ें: मानसून सत्र शुरू होते ही लोकसभा में हंगामा, पीएम मोदी ने नए मंत्रियों का सदन में परिचय कराया

No data to display. किसने क्या कहा
द वायर की वरिष्ठ पत्रकार रोहिणी सिंह ने ट्वीट करते हुए कहा कि जय शाह और निखिल मर्चेंट की कहानियों के बाद और पीयूष गोयल के संदिग्ध बिजनेस डीलिंग पर स्टोरी करते समय मुझे पेगासस स्पाइवेयर के माध्यम से निशाना बनाया गया। मैं सरकार से आग्रह करूंगी कि मेरी बातचीत को पढ़ना बंद कर दें और इसके बजाय मेरी स्टोरीज को पढ़े और चीजों को सही करने का काम करे। वकील प्रशांत भूषण ने इसे मोदी का वाटरगेट स्कैंडल बताते हुए कहा कि लीक साइबर-निगरानी हथियार के वैश्विक दुरुपयोग को उजागर करता है। डेटा से पता चलता है कि कार्यकर्ताओं, राजनेताओं और पत्रकारों को निशाना बनाने के लिए सत्तावादी शासन को बेचे जाने वाले स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या काम आता है ये स्पाइवेयर
गौरतलब है कि यह स्पाइवेयर बहुत सीमित चीज़ों में वैध तरीके से प्रयोग में लिया जा है। इसे मिलिट्री ग्रेड स्पाइवेयर भी कहा जाता है, इसे आतंकियों और अपराधियों को ट्रैक करने के लिए लाइसेंस मिला हुआ है, लेकिन इस बार यह इजराइली सॉफ्टवेयर कठघरे में खड़ा हो चुका है। निजता के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप काफी गम्भीर माना जाता है और इसी के कारण अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी।

Hindi News / Miscellenous India / दावा: पेगासस साॅफ्टवेयर से भारतीय पत्रकारों और नेताओं की हो रही जासूसी, सरकार ने किया इंकार

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.