…बंद कर दिए जाते थे सीसीटीवी कैमरे
आपको बता दें कि इधर कानूनी प्रबंधक एसएम मोहन कुमार ने अस्पताल की ओर से एक हलफनामे में न्यायमूर्ति ए अरूमुगास्वामी जांच आयोग को बताया कि विश्व स्तर पर अपनाए जाने वाले चलन को देखते हुए अस्पताल में उपचार कक्ष, आईसीयू या सीसीयू में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाया गया है, जबकि ठीक इसके उलट अस्पताल का पक्ष रखने वाली वकील मैमूना बादशा ने शुक्रवार को सौंपे एक हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि जय ललिता की सुरक्षा के मद्देनजर गलियारे और प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ था। उन्होंने बताया है कि अस्पताल के भीतर डायग्नोस्टिक परीक्षण जैसे स्कैन के लिए जयललिता को जब भी कमरे से बाहर ले जाया जाता था, उस समय उस रास्ते के कैमरे को स्विच ऑफ कर दिया जाता था। उन्होंने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक (खुफिया) के एन सत्यमूर्ति सहित पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर ऐसा किया गया था।
2016 में जयललिता का हुआ था निधन
आपको बता दें कि 5 दिसम्बर 2016 को चेन्नई अपोलो अस्पताल ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि रात 11:30 बजे उनका निधन हो गया। जयललिता 22 सितंबर से अपोलो अस्पताल में भर्ती थीं, उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद आईसीयू में भर्ती कराया गया था। द्रविड़ आंदोलन जो हिंदू धर्म के किसी परंपरा और रस्म में यक़ीन नहीं रखता उससे जुड़े होने के कारण इन्हें दफनाया गया। द्रविड़ पार्टी की नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी। सामान्य हिंदू परंपरा के ख़ि़लाफ़ द्रविड़ मूवमेंट से जुड़े नेता अपने नाम के साथ जातिसूचक उपाधि का भी इस्तेमाल नहीं करते। फिर भी जयललिताजी के जीवनी और आस्था को देखते हुए एक ब्राम्हण पंडीत ने अंतिम विधी करके दफन किया। इनके राजनीतिक गुरु एमजीआर को भी उनकी मौत के बाद दफ़नाया गया था। उनकी क़ब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी क़ब्र है।