उद्योग मंत्री के निर्देश के बाद उद्यान विभाग ने किसानों को राहत देने के मकसद से 7 अप्रैल से कटहल की खरीदारी शुरू की। सरकार के इस कदम से कटहल किसानों ( Jackfruit Farmers ) के चेहरे पर फिर से रौनक लौट आई है। हालांकि किसानों का बहुत नुकसान पहले ही हो चुका है। इसके बावजूद माना जा रहा है कि सरकार के इस निर्णय से किसानों को होने वाले बड़े नुकसान से सरकार ने बचा लिया है।
Jammu-Kashmir : सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़, कुलगाम में 1 आतंकवादी ढेर दरअसल, तमिलनाडु के कुड्डालोर ( Cuddalore ) जिले के 700 एकड़ भूमि में कटहल की खेती होती है। पनरुति कटहल खेती का प्रमुख केंद्र है। यहां के लोगों की आजीविका साधन भी यही है। अप्रैल से जून के बीच में इसका सीजन होता है। लेकिन लॉकडाउन की वजह से किसानों का फसल फंस गया। न तो खरीददार मिल रहे थे न ही कीमत।
इस समस्या से राहत दिलाने के लिए उद्योग मंत्री एमसी संपत, कृषि उत्पादन आयुक्त और प्रमुख सचिव गगनदीप सिंह बेदी और कलेक्टर वी अनबसेल्वन ने किसानों को समस्या से बाहर निकालने का निर्णय लिया। इस निर्णय के बाद उद्यान विभाग ने 7 अप्रैल से कटहल खरीदारी की मुहिम शुरू कर दी। मोटो तौर पर प्रशासन ने प्रति कटहल 50 रुपए किसानों को देने शुरू किया। लेकिन अब इसकी कीमत बढ़कर 80 रुपए से 125 प्रति कटहल हो गया है।
कुरनूल से YSR सांसद परिवार के 6 लोग कोरोना पॉजिटिव, सभी की हालत स्थिर लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि इससे किसानों को तो राहत मिली, पर प्रदेश सरकार को खजाने को चूना लगा। ऐसा इसलिए कि कटहल किसानों को बचाने के लिए उद्यान विभाग ने कटहल की खरीदारी और उसे तरबूज और अन्य सब्जी विक्रेताओं के बीच मुफ्त में बांट दिए।
उद्यान विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आर राडजमनी के मुताबिक अच्छी पैदावार के बावजूद तालाबंदी के कारण किसानों को नुकसान हो रहा था। पेड़ों पर फल सड़ रहे थे। जो किसान फसल को दूसरे राज्यों में ले गए वे लॉकडाउन के बाद प्रतिबंधों के कारण मंडी भी उतार भी नहीं पाए। यही कारण है कि किसानों को बर्बादी से बचाने के लिए सरकार को आगे आना पड़ा। सरकार ने किसानों को कटहल की खरीदारी का भरोसा दिलाया। ताकि किसानों को एक सुनिश्चित लाभ मिल सके।