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सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताजमहल सात अजूबों से एक है। ऐसे में यहां नमाज नहीं पढ़ी जा सकती। दरअसल, ताज महल परिसर में स्थित मस्जिद में हर हफ्ते जुमे की नमाज अता की जाती है। इसको लेकर यहां कई बार टकराव की स्थिति भी बन चुकी है। पिछले साल यह नमाज के साथ-साथ शिव चालीसा पढ़ने की अनुमति भी मांगी गई थी। जबकि ऐसा न होने पर नमाज भी बंद कराने की मांग रखी गई थी। यहां तक कि भाजपा के कई नेता भी ताजमहल को लेकर बड़े बयान दे चुके हैं। उन्होंने ताजमहल को शिव मंदिर बताया था।
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वहीं, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि वह ताजमहल पर स्वामित्व का दावा पेश नहीं करेगा। बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हफलनामा दाखिल कर किसी तरह की स्वामित्व के विचार से इनकार किया। बता दें कि इससे पहले आगरा मजिस्ट्रेट की ओर जारी आदेश में ताजमहल में केवल स्थानीय नमाजियों को ही नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी। आगरा मजिस्ट्रेट के आदेश को कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।