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आंदोलन में उतरे शहीद भगत सिंह के वंशज, कहा- ‘हर हाल में होगी किसानों की जीत’

kisan aandolan: शहीद भगत सिंह के प्रपौत्र यादवेंद्र सिंह संधू किसान आंदोलन में जा रहे हैं, उनका कहना है कि कृषि कानून हमारी पगड़ी और जमीन के ऊपर आ रहे हैं

Dec 17, 2020 / 06:59 pm

Vivhav Shukla

Shaheed Bhagat singh's descendants supported Kisan movement

Shaheed Bhagat singh’s descendants supported Kisan movement

नई दिल्ली। कृषि क़ानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 22वां दिन है। लेकिन अभी तक किसानों की समस्या का कोई हल नहीं निकल सका है। बीते दिन किसानों के लिए बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली थी। अब इस आंदोलन को शहीद भगत सिंह के वंशजों का भी समर्थन मिला है।

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दरअसल, शहीद भगत सिंह के प्रपौत्र यादवेंद्र सिंह संधू ने किसान आंदोलन में जाने का फैसला लिया है। मिली जानकारी के मुताबिक ‘भगत सिंह ब्रिगेड’ के कई सदस्य पहले से ही आंदोलन में पहुंच रखे हैं लेकिन अब संधू भी किसानों की आवाज बनकर आंदोलन में जा रहे हैं।

मीडिया से बात करते हुए यादवेंद्र जी ने कहा कि 113 साल पहले अंग्रेज हमारे देश में राज करते थे। उन्होंने अपने राज में ‘आबादकारी बिल-1906’ नाम का एक काला कानून लाया था। जिसका मकसद किसानों की जमीनों को हड़प कर बड़े साहूकारों के हाथ में देना था।

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उन्होंने आगे कहा कि अंग्रेजों ने किसानों को दबाने के लिए बारी दोआब नहर से सिंचित होने वाली जमीनों का लगान दोगुना कर दिया। उस दौरान मेरे परदादा यानी सरदार भगत सिंह के चाचा ने किसानों के हक के लिए अंग्रेजों से जंग छेड़ी था। उन्होंने पगड़ी संभाल जट्टा’ नाम का आंदोलन चलाया था। परदादा द्वारा चलाया ये आंदोलन पूरे नौ महीने तक चला था और आखिर में अंग्रेजों को झुकना पडा।

यादवेंद्र सिंह संधू ने आगे कहा कि आज के हालात भी कुछ वैसे ही हैं। सरकार के ये कानून हमारी पगड़ी और जमीन के ऊपर आ रहे हैं। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी किसान जंग लड़ेगा। हमारा हक कोई नहीं मार सकता है। हम हमेशा अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे।

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उन्होंने आगे का आज कि लडाई भी भारत को बचाने की है, जहां पर करीब 70 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। सर्द भरी रात में भी किसान अपना घर, खेत छोड़कर यहां दिल्ली की सड़कों पे सोने को मजबूर हैं। सरकार में थोड़ी संवेदना तो रहनी चाहिए।

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संधू कहते हैं कि किसान हमेशा धैर्य और सब्र करने वाला होता है। वो धरती मां की कोंख में छोटा सा बीज डालता है और उसको बड़े होने के लिए 6 महीने तक इंतजार करता है। ऐसे में सरकार को उनके धैर्य की परीक्षा लेने की कोशिश नहीं करना चाहिए। हमारे पूर्वज हमेशा किसानों के हक के लिए खड़े हुए हैं। हम महान भगत सिंह के वंशज है हमारे खून में आंदोलन है। हम किसान आंदोलन में मदद करने से पीछे कैसे रहेंगे।

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