कोर्ट ने कहा, मामले का राजनीतिकरण ना करें केस की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लोगों ने जंगल क्षेत्र में बड़ी जगह घेर रखी थी, जो लगभग 2000 वर्ग मीटर थी। वे लोग वहां पर ट्रक पार्क करते थे। लेकिन सरकार उन्हें 400 वर्गमीटर जमीन ही मंदिर के लिए दे सकती है। इससे पहले हुई सुनवाई में अटॉर्नी जनरल ने केवल 200 वर्ग मीटर जमीन देने की बात कही थी।
बता दें, कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर को ढहाए जाने के बाद इस पर राजनीति शुरू हो गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इसका राजनीतिकरण करने के खिलाफ चेतावनी दी थी। अदालत ने यहां तक कहा था कि जो लोग भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जा सकती है। साथ ही यह भी कहा था कि हम फैसले की आलोचना स्वीकार नहीं करेंगे।
यह था मामला दिल्ली के तुगलकाबाद में स्थित ऐतिहासिक रविदास मंदिर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीडीए ने तोड़ दिया था। इसके बाद संत रविदास के अनुयायियों ने इसका विरोध किया और सड़क से लेकर जंतर-मंतर तक इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया था। पंजाब में संत रविदास के अनुयायियों ने बंद तक का आह्वान किया था। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने भी मंदिर तोड़ने का विरोध किया था। भीम आर्मी के चन्द्रशेखर ने भी दिल्ली आकर विरोध किया था।