कोरोना वैक्सीन के लिए 2022 तक करना पड़ सकता है इंतजार, WHO की मुख्य वैज्ञानिक ने दी जानकारी पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली इस बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य), प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, वरिष्ठ वैज्ञानिक और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। भारत में ट्रायल की जा रही तीन वैक्सीन को लेकर यह बैठक की गई। देश में फिलहाल भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से भारत बायोटेक द्वारा एक स्वदेशी वैक्सीन विकसित की जा रही है। फिलहाल इसका दूसरा चरण में परीक्षण चल रहा है, जिसके परिणाम जल्द ही आने की उम्मीद है।
भारतीय वैक्सीन डेवलपर्स और निर्माताओं के प्रयासों की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकार इन सभी प्रयासों को सहूलियत देने और सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन भारत को इसके साथ-साथ दुनिया तक भी इसे पहुंचाना है। प्रधानमंत्री ने निर्देश दिए कि टेस्टिंग और सीरो-सर्वे दोनों को बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द से जल्द नियमित रूप से तेज और सस्ते में परीक्षण करने की सुविधा सभी को मुहैया करानी चाहिए।
इस दौरान पीएम मोदी ने पारंपरिक चिकित्सीय उपचारों के सतत और सघन वैज्ञानिक परीक्षण व सत्यापन की जरूरत भी बताई। इसके साथ ही ऐसे कठिन वक्त में साक्ष्य आधारित अनुसंधान करने के साथ ही विश्वसनीय समाधान मुहैया कराने के लिए आयुष मंत्रालय के प्रयासों की भी सराहना की।
जुलाई 2021 तक भी COVID-19 Vaccine पूरे देश को नहीं मिल पाएगी! स्वास्थ्य मंत्री की घोषणा का है यह मतलब जिस प्रकार कोरोना वायरस वैक्सीन का परीक्षण चल रहा है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 वैक्सीन लगाए जाने को लेकर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के तहत वैक्सीन के भंडारण, वितरण, प्राथमिकता आदि जैसे पहलुओं को पहचानना और हल करना शुरू कर दिया है। इस समूह की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल कर रहे हैं और इसके अंतर्गत वैक्सीन के विकास, खरीद और वितरण के विभिन्न पहलुओं को देखने वाले उपसमूह हैं, जिनमें एक कोल्ड चेन की जरूरतों का भी ध्यान रखता है।
केंद्र सरकार ने वैक्सीन भंडारण के हब बनाने के लिए सरकारी और निजी दोनों सुविधाओं की पहचान करना शुरू कर दिया है। पूरा ध्यान कोल्ड स्टोरेज को बनाए रखने पर केंद्रित किया जा रहा है क्योंकि अधिकांश टीकों को एक निश्चित तापमान पर संग्रहित और वितरित किया जाना आवश्यक होता है, इसके अभाव में वैक्सीन निष्प्रभावी हो जाती है।
प्रधानमंत्री ने गुरुवार की बैठक के दौरान कोरोना वायरस टीकों के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के डिस्ट्रीब्यूशन और डिलिवरी सिस्टम का भी जायजा लिया। भारत में सभी 700 से अधिक जिलों में करीब 27,000 वैक्सीन संग्रहण केंद्र हैं जो eVIN के माध्यम से जुड़े हुए हैं। इनमें कम से कम 40,000 फ्रंटलाइन कर्मचारियों द्वारा लॉजिस्टिक के प्रबंधन के लिए भंडारण के तापमान की बिल्कुल सटीक निगरानी के लिए कम से कम 50,000 टेंप्रेचर लॉगर लगे हुए हैं।