बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड ने करीब चार साल बाद एक बार फिर राज्य के विशेष दर्जे की मांग उठा दी है। इस बार सिर्फ जनता दल यूनाइटेड ही नहीं, कुछ और छोटे दल भी इस सुर में सुर मिला रहे हैं। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी भी शामिल है। हालांकि, अचानक यह मुद्दा फिर क्यों गर्म हो गया इसके पीछे कुछ जानकार नीति आयोग की उस रिपोर्ट का हवाला दे रहे हैै, जिसमें बिहार विकास के मामलों में एक बार फिर पिछड़ता दिख रहा है।
दरअसल, नीति आयोग ने हाल ही में एसडीजी यानी सस्टेनेबेल डेवलपमेंट गोल्स रिपोर्ट जारी की है। इसमें बिहार को विकास के मामलों में पिछड़ता हुआ बताया गया है। इसके बाद ही राज्य में विशेष दर्जे की मांग ने फिर जोर पकडऩा शुरू किया। जनता दल यूनाइटेड, जो कि सत्ता में भी है, के नेता दलील दे रहे हैं कि बिहार के पिछडऩे की प्रमुख वजह इसे विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलना है। वहीं, विपक्षी दलों का कहना है कि बिहार का पिछडऩा सरकार की विफलता है और विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर वह अपनी नाकामियों को छिपा रही है।
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17 मानकों पर तैयार की गई है रिपोर्टनीति आयोग ने सतत विकास के लक्ष्यों को लेकर अपनी एसडीजी रिपोर्ट जारी की है। इसमें विकास के मामलों में बिहार निचले पायदान पर है। यह रिपोर्ट सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के क्षेत्र में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन स्तर को बयां करती है। 17 मानकों के आधार पर तैयार हुई इस रिपोर्ट में गरीबी को पूरी तरह खत्म करना, भूखमरी की समाप्ति, बेहतर स्वास्थ्य और जीवनस्तर में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, स्वच्छ जल, स्वच्छता और सस्ती तथा स्वच्छ ऊर्जा जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।
जद-यू ने गिनाए पिछडऩे के कारण नीति आयोग हर साल एसडीजी रिपोर्ट जारी करता है। पिछले साल जारी इस रिपोर्ट में बिहार को 52 अंक मिले थे और इस साल भी उसी नंबर के साथ बिहार सबसे नीचे है। वहीं, इस रिपोर्ट में केरल पहले पायदान पर है। नीति आयोग की रिपोर्ट सामने आने के बाद बिहार में सत्तारूढ़ दल के नेता भी राज्य के पिछडऩे की वजहें बताने के लिए आगे आने लगे। जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बताया कि बिहार के बंटवारे के बाद पहले से पिछड़ा राज्य और पिछड़ता चला गया। बंटवारे के बाद उद्योग, खनिज संपदा, पॉवर प्रोजेक्ट झारखंड के पास चले गए। इसका खामियाजा बिहार आज भी भुगत रहा है। बिहार का विकास विशेष राज्य के दर्जे से ही संभव है।
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