COVID-19 Treatment में सोरायसिस इंजेक्शन के सीमित इस्तेमाल को DCGI की मंजूरी
क्लीनिकल ट्रायल ( Clinical Trials ) डाटा के आधार पर DCGI ( drug controller general of india ) ने दी है कोरोना मरीजों में प्रतिबंधित इस्तेमाल ( covid-19 treatment ) की स्वीकृति।
बायोकॉन कंपनी ( biocon limited ) की एल्ज्यूमैब ब्रांड से उपलब्ध दवा ( Coronavirus Medicine ) से इलाज केवल अस्पताल-इंस्टीट्यूट में ही।
इस इंजेक्शन के इस्तेमाल से पहले मरीज की स्वीकृति और साइड इफेक्ट्स का प्रबंधन जरूरी।
Psoriasis injection Itolizumab for COVID-19 treatment approved by DCGI
नई दिल्ली। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (DCGI) ने मध्यम से गंभीर कोरोना वायरस बीमारी वाले मामलों के इलाज के लिए इटोलिज़ुमैब इंजेक्शन के सीमित आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। इस मामले से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक यह मंजूरी क्लीनिकल ट्रायल डाटा के आधार पर दी गई है।
Itolizumab एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है जो गंभीर पुरानी पट्टिका सोरायसिस के इलाज के लिए स्वीकृत है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी लैब-निर्मित प्रोटीन होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली में मानव एंटीबॉडी की तरह कार्य करते हैं और बाहरी अणुओं के खिलाफ लड़ते हैं। मध्यम से गंभीर पुरानी प्लॉक सोरायसिस के मरीजों के इलाज के लिए बायोकॉन द्वारा दवा का निर्माण और विपणन किया जाता है। वर्ष 2013 से एल्ज्यूमैब ब्रांड नाम के तहत इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। अब इस स्वदेशी दवा को कोरोना वायरस के इलाज के लिए फिर से पेश किया गया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया कि बायोकॉन ने कोरोना मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण के नतीजे डीसीजीआई के सामने प्रस्तुत किए। इन ट्रायल के परिणाम पर DCGI कार्यालय की विषय विशेषज्ञ समिति ने विचार-विमर्श किया। इस समिति ने कोरोना मरीजों पर इसके प्रभाव के लिए दवा से संबंधित आंकड़ों पर ध्यान दिया।
बयान के मुताबिक, “विस्तृत विचार-विमर्श के बाद और समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, डीसीजीआई ने COVID-19 की वजह से मध्यम से गंभीर तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम के लिए साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम (सीआरएस) के इलाज के लिए दवा के प्रतिबंधित आपातकालीन इस्तेमाल के तहत दवा का विपणन करने की अनुमति देने का फैसला किया है।”
आपातकालीन इस्तेमाल में स्वीकृति के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है। इनमें रोगियों की लिखित सहमति लेना और उन्हें दवा के जोखिमों और लाभों से अवगत कराना और किसी भी प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए जोखिम प्रबंधन योजना को शामिल करना जरूरी है। यह दवा केवल अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में दी जानी है और खुदरा फार्मेसियों में बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है। डीसीजीआई के एक अधिकारी ने कहा, “यह दवा के दुरुपयोग से बचाने के लिए किया जाता है क्योंकि इसे सख्त चिकित्सकीय देखरेख में दिया जाना चाहिए।”
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दवा कोरोना वायरस के उपचार के लिए अनुमोदित अन्य पुन: निर्मित दवाओं की तुलना में यह सस्ती है। “इस स्वदेशी दवा के साथ उपचार की औसत लागत भी तुलनात्मक दवाओं की अपेक्षा में कम है जो कोरोना मरीजोंके लिए क्लीनिकल मैनेजटमेंट प्रोटोकॉल में ‘जांच उपचार’ का हिस्सा हैं।”
भारत में कोरोना वायरस इलाज में इस्तेमाल के लिए अनुमोदित दवाओं में एंटीवारयल जैसे कि रेमेडेसिविर और इम्यूनोसप्रेस्सेंट टोकिलिज़ुमैब, स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन और मलेरिया रोधी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन शामिल हैं।