नवदीप कौर की उम्र करीब 24 साल है। हाल ही में वह 46 दिन तक जेल में रहने के बाद बाहर आई हैं। गत 26 फरवरी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी है। आमतौर पर उनकी पहचान दलित-मजदूर कार्यकर्ता के तौर पर रही है। वह दलितों और श्रमिकों के अधिकार के लिए अपनी आवाज बुलंद करती रही हैं। रहने वाली वह पंजाब के मुक्तसर साहिब की हैं, मगर हरियाणा के कुंडली के औद्योगिक क्षेत्र में अस्थाई तौर पर श्रमिक रही हैं। उन्होंने श्रमिक यूनियन का हिस्सा बनकर अपने मजदूर भाइयों के बकाया वेतन के भुगतान के लिए लंबे समय तक संघर्ष भी किया।
फिलहाल, उनकी चर्चा न सिर्फ हरियाणा या पंजाब बल्कि, देशभर में और दुनियाभर के कई हिस्सों में हो रही है। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से पिछले साल लाए गए तीन नए कृषि कानून के विरोध में आवाज बुलंद की और किसानों के समर्थन में मार्च भी निकाला। श्रमिकों के अधिकारों को लेकर नवदीप ने कई प्रदर्शन किए, जिसके बाद उन पर तीन केस दर्ज हुए। पहले केस में उन्हें गत 11 फरवरी को जमानत मिली थी। इससे पहले नवदीप ने गत वर्ष 28 दिसंबर को कुंडली में मजदूर अधिकार संगठन से जुड़े प्रदर्शन करने वाले श्रमिकों ने मजदूरी की मांग को लेकर औद्योगिक क्षेत्र का घेराव किया था।
नवदीप की बहन राजवीर के अनुसार, 28 दिसंबर को नवदीप और मजदूर अधिकार संगठन के दूसरे सदस्य जब अपना बकाया वेतन मांगने गए, तो उन पर गोली चलाई गई। राजवीर के अनुसार, पुलिस यहीं नहीं रूकी। उसने नवदीप के खिलाफ झूठा केस दर्ज कर लिया। राजवीर कहती हैं कि बकाया वेतना मांगना जबरन वसूली नहीं कहा जाएगा।
सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार
इसके बाद बीते 12 जनवरी को नवदीप एक और प्रदर्शन में गईं, वहां भी पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद नवदीप किसानों के समर्थन में दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पहुंची, तो वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर हत्या की कोशिश, दंगा और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगा। राजवीर के मुताबिक, 12 जनवरी को पुलिस ने मजदूर अधिकार संगठन के टेंट से नवदीप को गिरफ्तार किया। मगर गिरफ्तारी की सूचना काफी देर तक परिवार को नहीं दी गई। बाद में पुलिस नियंत्रण कक्ष से पता चला कि उन्हें हरियाणा के करनाल जेल में भेज दिया गया है।
इसके बाद बीते 12 जनवरी को नवदीप एक और प्रदर्शन में गईं, वहां भी पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद नवदीप किसानों के समर्थन में दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर पहुंची, तो वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर हत्या की कोशिश, दंगा और सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगा। राजवीर के मुताबिक, 12 जनवरी को पुलिस ने मजदूर अधिकार संगठन के टेंट से नवदीप को गिरफ्तार किया। मगर गिरफ्तारी की सूचना काफी देर तक परिवार को नहीं दी गई। बाद में पुलिस नियंत्रण कक्ष से पता चला कि उन्हें हरियाणा के करनाल जेल में भेज दिया गया है।
याचिका में संगीन आरोप लगाए
नवदीप कौर ने अपनी याचिका में संगीन आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें गलत फंसाया है। गिरफ्तारी के बाद न सिर्फ पीटा गया बल्कि, हिरासत के दौरान यौन उत्पीडऩ भी किया गया। नवदीप का कहना है कि देश में किसान और श्रमिक लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। सरकार उनके हक की चीजों को बेच रही और इससे अपना पेट भर रही है। नवदीप ने कहा कुंडली थाने से पुलिस की एक टीम प्रदर्शन स्थल पर आई। वहां पुलिसकर्मियों ने मेरा बाल खींचा। उसी हालत में मुझे एक ओर ले गए और गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद थाने ले जाकर पीटा गया। उन्होंने याचिका में दावा किया कि महिला पुलिस अफसर की गैर मौजूदगी में पुरूष पुलिसकर्मियों ने पीटा। उन्होंने अपने प्राइवेट पार्ट में चोट के निशान होना भी बताए हैं।
नवदीप कौर ने अपनी याचिका में संगीन आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें गलत फंसाया है। गिरफ्तारी के बाद न सिर्फ पीटा गया बल्कि, हिरासत के दौरान यौन उत्पीडऩ भी किया गया। नवदीप का कहना है कि देश में किसान और श्रमिक लगातार पिछड़ते जा रहे हैं। सरकार उनके हक की चीजों को बेच रही और इससे अपना पेट भर रही है। नवदीप ने कहा कुंडली थाने से पुलिस की एक टीम प्रदर्शन स्थल पर आई। वहां पुलिसकर्मियों ने मेरा बाल खींचा। उसी हालत में मुझे एक ओर ले गए और गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद थाने ले जाकर पीटा गया। उन्होंने याचिका में दावा किया कि महिला पुलिस अफसर की गैर मौजूदगी में पुरूष पुलिसकर्मियों ने पीटा। उन्होंने अपने प्राइवेट पार्ट में चोट के निशान होना भी बताए हैं।