scriptअसहयोग आंदोलन आज के दिन हुआ था शुरू, जानिए शुरुआत के कारण और असर | Important information about asahyog-aandolan 1920 | Patrika News
विविध भारत

असहयोग आंदोलन आज के दिन हुआ था शुरू, जानिए शुरुआत के कारण और असर

अंग्रेजों के अत्याचार के राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने एक अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन शुरू किया था। इसकी विशेषता यह थी कि अंग्रेजों की क्रूरताओं के खिलाफ लड़ने के लिए केवल अहिंसक साधनों को अपनाया गया था।

Aug 01, 2021 / 10:41 am

Shaitan Prajapat

mahatma gandhi

mahatma gandhi

नई दिल्ली। अंग्रेजों के अत्याचार के राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने एक अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन शुरू किया था। अंग्रेजों द्वारा प्रस्तावित अन्यायपूर्ण कानूनों और कार्यों के विरोध में देशव्यापी अहिंसक आंदोलन था। इस आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में जाना बंद कर दिया था। वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया। कई कस्बों और नगरों में श्रमिक हड़ताल पर चले गए। असहयोग आंदोलन की विशेषता यह थी कि अंग्रेजों की क्रूरताओं के खिलाफ लड़ने के लिए शुरू में केवल अहिंसक साधनों को अपनाया गया था।

यह भी पढ़ें
-

Patrika Explainer: जातिगत जनगणना पर चल रही बहस, अब तक क्या हुआ और आगे क्या है उम्मीदें

क्यों शुरू हुआ असहयोग आंदोलन
असहयोग आंदोलन की शुरुआत के कई कारण है। अंग्रेजों के अत्याचार इसकी मुख्य वजह थी। गांधीजी ने अपनी किताब ‘हिंद स्वराज’ में लिखा था कि अगर भारतीयों ने अग्रेजों का सहयोग करना बंद कर दे तो ब्रिटिश साम्राज्य का पतन हो जाएगा और हमें स्वराज मिल जाएगा।
रौलट एक्ट- साल 1919 में पारित रौलट एक्ट के तहत, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों पर अंकुश लगा दिया गया। इसके साथ ही पुलिस शक्तियों को बढ़ाया गया। दो साल तक बिना किसी ट्रायल के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी।
प्रथम विश्व युद्ध- इस दौरान रक्षा व्यय में भारी वृद्धि के साथ सीमा शुल्क भी बढ़ा दिया गया था। जिससे सभी चीजों की कीमतें दोगुनी हो गई। बढ़ती महंगाई के कारण आम लोगों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस के बाद देश में निर्मित के उपयोग पर जोर दिया गया और विदेशी चीजों का बहिस्कार किया।

यह भी पढ़ें
-

देश में फिर बढ़ रहा आर-वैल्यू, जानिए यह कब-कब घटा और इसका बढऩा क्यों है खतरे का संकेत



देशभर में दिखा व्यापक असर
असहयोग आंदोलन का देशभर में व्यापक असर देखने को मिला था। गांधी के इस आंदोलन में शहर से लेकर गांव देहात के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान छात्रों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया था। वकीलों ने अदालत में जाने से इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं कई कस्बों और शहरों में कामगार ने भी काम करना बंद कर हड़ताल पर चले गए। एक रिपोर्ट के अनुसार, 1921 में 396 हड़तालें हुई। इसमें करीब छह लाख श्रमिक शामिल थे और इससे 70 लाख कार्यदिवसों का नुकसान हुआ। साल 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद असहयोग आंदोलन से पहली बार अंग्रेजी राज की नींव हिला दी थी।

Hindi News / Miscellenous India / असहयोग आंदोलन आज के दिन हुआ था शुरू, जानिए शुरुआत के कारण और असर

ट्रेंडिंग वीडियो