बुलेट ट्रेन परियोजना में आई जमीन तो बरसेगा नोट, अधिग्रहण पर कंपनी देगी 5 गुना ज्यादा मुआवजा
किसानों ने सरकार पर लगाए नियम को हल्का करने का आरोप
आपको बता दें कि इन पांच याचिकाओं के अलावा एक हजार किसानों ने हाई कोर्ट में अग-अलग हलफनामा दायर किया है। किसानों का आरोप है कि इस 1.10 लाख करोड़ रुपए की इस परियोजना से काफी कृषक प्रभावित हुए हैं। किसानों का कहना है कि वे लोग नहीं चाहते कि उसके जमीन का अधिग्रहण किया जाए। यदि किया भी जाए तो किसानों के वर्तमान हितों के साथ-साथ उनके भविष्य के बारे में बेहतर विकल्प सुनिश्चित करने के बाद किया जाए। किसानों ने कहा है कि मौजूदा भू अधिग्रहण प्रक्रिया इस परियोजना के लिये भारत सरकार को सस्ती दर पर कर्ज मुहैया कराने वाली जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) के दिशानिर्देशों के भी विपरीत है। किसानों ने आरोप लगाया कि गुजरात सरकर ने बुलेट ट्रेन के लिये सितंबर 2015 में भारत और जापान के बीच समझौते के बाद भू अधिग्रहण अधिनियम 2013 के प्रावधानों को हलका किया और प्रदेश सरकार द्वारा किया गया संशोधन अपने आप में जेआईसीए के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है। किसानों ने अदालत से यह भी कहा कि सरकार उनकी सहमति के बिना ही उनके जमीन का अधिग्रहण करने का कार्य कर रही है।