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खुशखबरी: कैंसर पीडि़तों को अब नहीं लेनी होंगी ढेरों दवाइयां

आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक नया ड्रग डिलीवरी सिस्टम विकसित किया है। इससे कैंसर के मरीजों के इलाज में बेहतर परिणाम मिलने की संभावना है।

Aug 07, 2017 / 10:25 am

Manoj Kumar

नई दिल्ली। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक नया एंटी-बैक्टीरियल ड्रग डिलीवरी सिस्टम विकसित किया है। इसके जरिये बैक्टीरियल इन्फेक्शन में मरीज को कम डोज देकर बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। इससे कैंसर के मरीजों के इलाज में बेहतर परिणाम मिलने की संभावना है। हालांकि फिलहाल इस नए डिलीवरी सिस्टम को आम मरीजों पर लागू नहीं किया जा सकता है, लेकिन जल्द ही इसे अनुमति मिलने के आसार हैं।
 

कम दवा से ज्यादा असर
साइंटिफिक रिपोट्र्स नामक जर्नल में प्रकाशित लेख के लेखकों में से एक, आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर बायो मेडिकल इंजीनियरिंग की शोधकर्ता डॉ. नीतू सिंह बताती हैं कि स्वर्ण नैनो-पार्टिकल्स से बांधने पर ड्रग डिलीवरी बेहतर हो जाती है और बायो-अवेलेबिलिटी भी बेहतर होती है। इस प्रकार कम मात्रा में देने पर भी दवा अच्छे परिणाम देती है। शोध में तैयार मिश्रण कम दवा की मात्रा में ही 50 फीसदी से ज्यादा असर दिखाता है।
 

कम दवा असरदार
शोधकर्ताओं ने बताया कि 1000 पेप्टाइड को एक नैनोपार्टिकल से मिलाने पर बेहतरीन एंटीबैक्टीरियल परिणाम मिले हैं। इसकी वजह से 400 एनएम दवा का प्रभाव मरीज पर बहुत बेहतर होता है। खासकर कैंसर जैसी बीमारी में यह काफी लाभदायक है। इलाज के दौरान मरीज को कम से कम दवा देने से अतिरिक्त जोखिम कम होता है।
 

मिश्रण की सफलता
शोध के दौरान आईआईटी के छात्रों ने स्वर्ण के नैनो-पार्टिकल्स के साथ पेप्टाइड को मिलाया। इसके बाद पाया गया कि यह मिश्रण कम मात्रा में दिए जाने पर ई-कोली और साल्मोनेला टाइफी को नष्ट करता है। यह दोनों ही बैक्टीरियल इन्फेक्शन के लिए जिम्मेदार होते हैं। जो कई तरह के रोगों के वाहक हैं। पेप्टाइड अकेले बैक्टीरिया पर असर नहीं डाल पाता।
 

कीमौथेरपी में मिलेगी राहत
कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक, इस नई खोज से कैंसर के मरीज के शरीर को तेजी से रिकवर होने में मदद मिलेगी। कीमौथेरपी के दौरान मरीज का शरीर कमजोर हो जाता है। अधिक दवा से मरीज की रिकवरी क्षमता कम होती है। कम दवाओं से शरीर पर बोझ कम होगा और मरीज ज्यादा तेजी से रिकवर कर पाएगा।

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