30 करोड़ डॉलर खर्च करने के बाद कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर बिग गेट्स का बड़ा खुलासा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक बीती तिमाही के दौरान देश भर में सिर्फ 3.39 लाख नए मरीजों की ही पहचान ( Tuberculosis Symptoms ) हो सकी है। जबकि पिछले साल इस दौरान 6.48 लाख मरीजों की पहचान ( Rising tuberculosis patient ) कर उनका इलाज शुरू कर दिया गया था। यानी हर महीने लगभग एक लाख मरीज की पहचान कम हो रही है।
क्या हैं वजहें क्यों गंभीर हमारे देश में अब भी सालाना साढ़े चार लाख लोग इस बीमारी ( Tuberculosis (TB) Disease ) से मारे जा रहे हैं। दुनिया भर के लगभग एक चौथाई टीबी मरीज भारत में ही हैं। इससे निपटने के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि नए मरीजों की समय से पहचान ( diagnosis of tuberculosis ) कर उनका इलाज ( control Tuberculosis ) शुरू किया जाए। पिछले कई दशकों से देश भर में इसकी जांच और इलाज पूरी तरह मुफ्त है।
केवल 399 रुपये में बाजार में लॉन्च हो गई दुनिया की सबसे सस्ती कोरोना diagnostic kit, और कम हो सकती है कीमत कहीं लॉकडाउन से तो नहीं घटा टीबी का प्रसार? फाउंडेशन फॉर मेडिकल रिसर्च के निदेशक डॉ. नरगिस मिस्त्री कहते हैं कि ऐसा नहीं मान सकते क्योंकि टीबी ( Tuberculosis news ) का इनक्यूबेशन पीरियड काफी लंबा भी हो सकता है। इसका संक्रमण होने के एक से दो साल बाद भी लक्षण आ सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आम तौर पर लक्षण आने के भी 23 से 30 दिन बाद ही इसकी जांच होती है। यानी जो लोग लॉकडाउन से पहले संक्रमित हुए थे, उनकी पहचान भी इसी दौरान होनी थी। बाहर कम जाने से प्रसार की आशंका घटी होगी तो घर में बंद रहने से दूसरे सदस्यों में फैलने का खतरा बढ़ा है।
अप्रैल से जून के दौरान नए मरीज