इस बात को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने ताजा उर्दू में मैसेज जारी करने का फैसला लिया है। ताकि हॉटस्पॉट ( Hotspot ) वाले इलाकों में लोगों को कोरोना वायरस के खिलाफ जागरुक किया जा सके। साथ ही लोगों को समझाने के लिए धार्मिक नेताओं की भी मदद ली जाएगी।
पीएम मोदी ने बोझिल ड्रग रेग्युलेटरी सिस्टम पर जताई चिंता, आमूलचूल बदलाव पर दिया जोर आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे ज्यादा शिकार औसतन मुस्लिम समुदाय के लोग हो रहे हैं। 3 मई तक राज्य में 548 लोगों की मौत हुई थी जिसमें से 44 फीसदी मुसलमान थे। जबकि महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या में मुसलमानों की हिस्सेदारी सिर्फ 12 फीसदी है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 17 मार्च को राज्य में कोरोना से पहली मौत का मामला सामने आया था। 15 अप्रैल तक मौत की संख्या बढ़कर 187 हो गई थी। इसमें मुसलमानों की संख्या 89 थी। लेकिन 15 अप्रैल से 3 मई के बीच महाराष्ट्र में कुल 548 मौतें हुई। इनमें मुसलमानों की संख्या 243 है। यानि महाराष्र्ट में कोरोना से कुल मौतों में 44 फीसदी की हिस्सेदारी। जबकि महाराष्ट्र की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी केवल 12 फीसदी है।
Covid-19 ने पकड़ी तेज रफ्तार, मरीजों की संख्या डबल होने में लग रहे हैं सिर्फ 11 दिन विशेष समुदाय के लोगों की मौत की संख्या ज्यादा होने के सवाल पर अधिकारियों और जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र में कोरोना से मुसलमानों की इसलिए ज्यादा मौतें हो रही हैं क्योंकि ये लोग लॉकडाउन का ठीक तरीके से पालन नहीं करते हैं। इसके अलावा खाड़ी देशों से लौटने वाले लोगों पर देर से पाबंदियां लगाई गईं। 20 मार्च तक यहां के कई लोग मस्जिदों में जुमे की नमाज भी अदा करते रहे। काफी घनी आबादी के चलते भी कई इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग ( Social Distancing ) का ठीक से पालन नहीं हो पाता है।