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कोविद-19: पहले लॉकडाउन, अब मजदूरों की वापसी से राज्य सरकारों पर बढ़ेगा दबाव

लॉकडाउन की शर्तों से राहत की उम्मीद कम
प्रवासी मजदूरों की वापसी से राज्य सरकारों की बढ़ेंगी परेशानी
बेरोजगारों को न मिले रोजगार के तो बिगडेंगे हालात

May 01, 2020 / 09:27 am

Dhirendra

 प्रवासी मजदूर

लॉकडाउन के बाद राज्य सरकारों को राहत मिलने की उम्मीद बहुत कम।

नई दिल्ली। देशभर में जारी लॉकडाउन 2.0 ( Lockdown 2.0 ) दो दिन बाद समाप्त हो जाएगा। हालांकि लॉकडाउन से पूरी तरह राहत मिलने की उम्मीद न के बराबर है, लेकिन देश की आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने के लिए केंद्र कुछ और रियायतें देने के लिए तैयार है। दूसरी तरफ प्रवासी मजदूरों ( Migrant Labours ) की घर वापसी लॉकडाउन 2.0 के बाद होगी। दोनों स्थिति में राज्य सरकारों ( State Governments ) पर दबाव कम होने बदले बढ़ने वाली है।
आशंका इस बात की भी है कि कोरोना और लॉकडाउन से बेरोजगार हुए लाखों मजदूरों और युवाओं को रोजगार का विकल्प नहीं मिला तो हालात पहले से ज्यादा खराब होंगे।

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प्रवासी मजदूरों के राज्यों में लौटने से दबाव और बढ़ेगा। इन मजदूरों को रोजगार और रोटी दोनों उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को अतिरिक्त आवंटन की जरूरत पड़ेगी। दूसरी तरफ लॉकडाउन से बेरोजगार हुए युवाओं को रोजगार देने का दबाव प्रदेश की सरकारों पर होगा। जबकि तमाम उद्योग पहले से ही बंद हो चुके हैं। राज्य की आर्थिक स्थितियां खराब हैं और वह इस स्थिति में केंद्र के सहारे है।
कुल मिलाकर राज्य सरकारों पर दबाव ज्यादा होगा। प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य में ले जाने की अनुमति से राज्य सरकारों पर लाखों मजदूरों को रोजगार और रोटी बनाने के लिए अतिरिक्त संसाधन व्यय करने होंगे। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ( Central Government ) तीन मई के बाद कुछ आर्थिक गतिविधियां शुरू कर सकती है और राज्यों में भी इस तरह के काम शुरू करने को कहा जाएगा।
इसके लिए मजदूरों को सीमित संख्या में पूरी सुरक्षा और सोशल डिस्टेंसिंग ( Social Distancing ) के नियमों के साथ काम में लगाया जाएगा। राज्यों में पहुंच गए मजदूरों को वहीं पर ही काम देने की कोशिश की जाएगी।
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दूसरी तरफ गृह मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि सामान की आपूर्ति में लगे ट्रकों की अंतरराज्यीय आवाजाही के लिए अलग से किसी पास की कोई आवश्यकता नहीं है। ट्रक चालकों के पास लाइसेंस होना ही इसके लिए काफी है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि इस तरह की सूचनाएं हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों में राज्य की सीमाओं पर ट्रकों को आवाजाही में परेशानी आ रही है और स्थानीय अधिकारी अलग से पास की मांग रहे हैं।
बता दें कि लॉकडाउन 2.0 के दौरान केंद्र सरकार द्वारा दी गई तमाम छूटों से रोजमर्रा की जिंदगी में जरूर कुछ आसानी हुई है, लेकिन इससे राज्यों की आर्थिक स्थिति सुधरने की गुंजाइश न के बराबर है। मौजूदा लॉकडाउन की अवधि तीन मई को समाप्त हो रही है और उसके बाद का फैसला केंद्र सरकार को करना है। चूंकि संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इसलिए केंद्र और राज्यों के पास लॉकडाउन पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं है।
ऐसे में अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए नई रणनीति से अन्य कामकाज को शुरू करने की जरूरत महसूस की जा रही है। राज्यों का कहना है कि अगर केंद्र से आर्थिक मदद नहीं मिली तो वहां पर हालात और बिगड़ सकते हैं।

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