WHO ने दी सबसे बड़ी खुशखबरी, कोरोना वैक्सीन पहुंच गई अंतिम चरण में दिल्ली में जिस युवक को Covaxin का यह टीका लगाया गया था, उसका अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में एक और सप्ताह के लिए निरीक्षण किया जाएगा। देश भर में 12 स्थानों पर टीके का परीक्षण किया जा रहा है।
द लैंसेट में इस हफ्ते की शुरुआत में प्रकाशित दो रैंडम ट्रायल के नतीजों ने 2021 की शुरुआत में COVID-19 के लिए वैक्सीन आने की उम्मीद जताई है। एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ( AstraZeneca coronavirus vaccine ) के शुरुआती नतीजे बताते हैं कि यह सुरक्षित है और ह्युमरल व सेल्युलर इम्यून दोनों को उत्तेजित करता है। इस वैक्सीन का पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा कोविशिल्ड ( Covishield) नाम से उत्पादन किया जाएगा।
वहीं, चीन द्वारा विकसित की जा रही एक वैक्सीन ने भी दुष्प्रभावों के बिना एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न ( Coronavirus vaccine clinical trial ) की। इसी तरह के नतीजे मॉडर्ना वैक्सीन ( moderna coronavirus vaccine ) के इस्तेमाल द्वारा भी सामने आए, जिसे अमरीका में जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के सहयोग से से विकसित किया जा रहा है।
इस संबंध में एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला कहते हैं, “अलग-अलग तरह के टीके सामने आ रहे हैं। आपके पास मॉडर्ना, चाइना और एस्ट्राजेनेका है, जो इस साल के अंत तक आने वाली हमारी पांच साझेदारियों में से एक है, इसलिए हम देखेंगे कि कौन से टीके सबसे सुरक्षित और प्रभावकारी हैं। तब तक लोगों का वायरस से सामना हो चुका होगा और लोग धीरे-धीरे हर्ड इम्यूनिटी बना लेंगे। लेकिन ऐसा केवल तभी होगा जब 50-60 फीसदी लोग संक्रमित हो जाएंगे, और इसके लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। हम टीके से पहले अपने बचाव के लिए हर्ड इम्यूनिटी पर भरोसा नहीं कर सकते हैं।”
30 करोड़ डॉलर लगाने के बाद कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल को लेकर बिग गेट्स का बड़ा खुलासा उन्होंने आगाह किया कि पूरी दुनिया के लिए वैक्सीन की पर्याप्त खुराक का उत्पादन रातोंरात नहीं होगा। पूनावाला ने कहा दुनिया की पूरी आबादी तक इसकी पहुंच बनाने के लिए चार से पांच साल लगेंगे।
वहीं, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि तमाम प्रयासों को लेकर हो रहा प्रचार भी टीके की सुरक्षा के बारे में आशंकाओं को भड़का रहा है। पहले से ही वैक्सीन का विरोध करने वालों इसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं जो राष्ट्रीय सरकारों के अविश्वास पर खेल रहे हैं और दवा कंपनियों द्वारा मुनाफाखोरी कर रहे हैं।