एम्स दिल्ली में शुक्रवार को एक युवक को वैक्सीन ( COVAXIN ) लगाने के बाद कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखा।
दुनिया की तमाम अन्य वैक्सीन ( Coronavirus vaccine ) भी दिखा रही हैं सकारात्मक नतीजे, लेकिन परीक्षण जारी।
अगले वर्ष की पहली तिमाही तक वैक्सीन ( coronavirus vaccine latest update ) आने की संभावना, पूरी दुनिया के लिए 4-5 साल।
Corovairus Vaccine need a lot of work before launch
नई दिल्ली। कोरोना वायरस बीमारी की रोकथाम के लिए वैक्सीन ( coronavirus vaccine latest update ) विकसित करने के वैश्विक प्रयास में इस सप्ताह में कई मील के पत्थर हासिल किए गए। कई समूह वर्ष 2021 की शुरुआत में उपयोग के लिए वैक्सीन ( Coronavirus vaccine ) तैयार करने पर जोर दे रहे हैं। इस बीच दिल्ली स्थित एम्स में एक व्यक्ति को शुक्रवार को स्वदेशी COVID-19 वैक्सीन ( COVAXIN ) की पहली खुराक दी गई। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ( coronavirus vaccine by Bharat Biotech ) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा विकसित इस वैक्सीन का टीकाकरण के बाद 24 घंटों में कोई तत्काल दुष्प्रभाव सामने नहीं आया।
द लैंसेट में इस हफ्ते की शुरुआत में प्रकाशित दो रैंडम ट्रायल के नतीजों ने 2021 की शुरुआत में COVID-19 के लिए वैक्सीन आने की उम्मीद जताई है। एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ( AstraZeneca coronavirus vaccine ) के शुरुआती नतीजे बताते हैं कि यह सुरक्षित है और ह्युमरल व सेल्युलर इम्यून दोनों को उत्तेजित करता है। इस वैक्सीन का पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा कोविशिल्ड ( Covishield) नाम से उत्पादन किया जाएगा।
वहीं, चीन द्वारा विकसित की जा रही एक वैक्सीन ने भी दुष्प्रभावों के बिना एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न ( Coronavirus vaccine clinical trial ) की। इसी तरह के नतीजे मॉडर्ना वैक्सीन ( moderna coronavirus vaccine ) के इस्तेमाल द्वारा भी सामने आए, जिसे अमरीका में जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के सहयोग से से विकसित किया जा रहा है।
इस संबंध में एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला कहते हैं, “अलग-अलग तरह के टीके सामने आ रहे हैं। आपके पास मॉडर्ना, चाइना और एस्ट्राजेनेका है, जो इस साल के अंत तक आने वाली हमारी पांच साझेदारियों में से एक है, इसलिए हम देखेंगे कि कौन से टीके सबसे सुरक्षित और प्रभावकारी हैं। तब तक लोगों का वायरस से सामना हो चुका होगा और लोग धीरे-धीरे हर्ड इम्यूनिटी बना लेंगे। लेकिन ऐसा केवल तभी होगा जब 50-60 फीसदी लोग संक्रमित हो जाएंगे, और इसके लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। हम टीके से पहले अपने बचाव के लिए हर्ड इम्यूनिटी पर भरोसा नहीं कर सकते हैं।”
वहीं, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि तमाम प्रयासों को लेकर हो रहा प्रचार भी टीके की सुरक्षा के बारे में आशंकाओं को भड़का रहा है। पहले से ही वैक्सीन का विरोध करने वालों इसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं जो राष्ट्रीय सरकारों के अविश्वास पर खेल रहे हैं और दवा कंपनियों द्वारा मुनाफाखोरी कर रहे हैं।