हालांकि उन तस्वीर में लैंडर का पता नहीं चल पाया। लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर कैमरा ने लक्षित लैंडिंग साइट के आसपास की छवियों को कैद किया। लेकिन लैंडर का सही स्थान का पता नहीं चल पाया, क्योंकि हो सकता है लैंडर कैमरे के क्षेत्र से बाहर हो।
देश के सबसे चर्चित नेता की अचानक बिगड़ी तबीयत, पार्टी खेमे में भी मच गया हड़कंप, अब कभी भी अब तक एक बड़े करिश्मे का इंतजार है। इसरो को शनिवार रात तक लैंडर विक्रम से संपर्क की उम्मीद है। हालांकि इसके बाद चांद पर काली और डरावनी रात का साया शुरू हो जाएगा। यही नहीं यहां पर ठंडी हवाएं भी तेज रफ्तार के साथ चलेंगी।
चांद के दक्षिण ध्रुव की तस्वीरें आई सामने
अमरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की है। नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्षयान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान वहां की कई तस्वीरें ली।
अमरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की है। नासा के लूनर रिकॉनिसंस ऑर्बिटर (एलआरओ) अंतरिक्षयान ने 17 सितंबर को चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव के पास से गुजरने के दौरान वहां की कई तस्वीरें ली।
शनिवार का दिन काफी अहम
जहां विक्रम ने उतरने का प्रयास किया था। लेकिन शनिवार का दिन काफी अहम होने वाला है, क्योंकि नासा एक बार फिर से 21 सितंबर को विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश करेगा।
जहां विक्रम ने उतरने का प्रयास किया था। लेकिन शनिवार का दिन काफी अहम होने वाला है, क्योंकि नासा एक बार फिर से 21 सितंबर को विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश करेगा।
माना जा रहा है इस बार नासा उन गलतियों से बचने की कोशिश करेगा जो 17 तारीख को हुईं थीं। यानी कोशिश की जाएगी कि हार्ड लैंडिंग वाली जगह की हर तस्वीर को कैद कर लिया जाए और लैंडर विक्रम से संपर्क की कोशिश को कामयाब किया जाए।
LRO मिशन के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन कैलर ने एक बयान में कहा कि इसने विक्रम के उतरने वाले स्थान के ऊपर से उड़ान भरी। लैंडर से 21 सितंबर को संपर्क साधने का फिर प्रयास किया जाएगा।
आपको बता दें कि अब तक अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ऑर्बिटर को भारत के मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम’ की तस्वीरें खींचने में सफलता नहीं मिल पाई।
आपको बता दें कि अब तक अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ऑर्बिटर को भारत के मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम’ की तस्वीरें खींचने में सफलता नहीं मिल पाई।
चंद्रमा पर रात होने की शुरुआत हो चुकी है और वहां अंधेरा छाने लगा है। नासा अब ऑर्बिटर के कैमरे में कैद तस्वीरों का विश्लेषण कर रहा है। सीनेट डॉट कॉम ने एक बयान में कैली के हवाले से कहा, एलआरओसी टीम इन नयी तस्वीरों का विश्लेषण करेगी और पूर्व की तस्वीरों से उनकी तुलना कर यह देखेगी कि क्या लैंडर नजर आ रहा है।
इस तरह कैद हुआ है लैंडर विक्रम का फोटो
रिपोर्ट ये भी में कहा गया है कि नासा इन छवियों का विश्लेषण, प्रमाणीकरण और समीक्षा कर रहा है। उस वक्त चंद्रमा पर शाम का समय था जब ऑर्बिटर वहां से गुजरा था जिसका मतलब है कि इलाके का ज्यादातर हिस्सा बिंब में कैद हुआ होगा।
रिपोर्ट ये भी में कहा गया है कि नासा इन छवियों का विश्लेषण, प्रमाणीकरण और समीक्षा कर रहा है। उस वक्त चंद्रमा पर शाम का समय था जब ऑर्बिटर वहां से गुजरा था जिसका मतलब है कि इलाके का ज्यादातर हिस्सा बिंब में कैद हुआ होगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल का सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था। लैंडर का आखिरी क्षण में जमीनी केंद्रों से संपर्क टूट गया था। नासा के एक प्रवक्ता ने इससे पहले कहा था कि इसरो के विश्लेषण को साबित करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर के लक्षित इलाके की पहले और बाद में ली गई तस्वीरों को साझा करेगी।