बिलासपुर के स्थानीय तालापारा निवासी पिता हाजी शरीफ खान ने याचिका में बताया कि उसके बेटे इकबाल खान की नियुक्ति 2 अक्टूबर 2010 को असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के पद पर जांजगीर-चांपा जिले में सारी प्रक्रिया और परीक्षा पास करने के बाद हुई थी। विभिन्न विभागीय प्रशिक्षण भी उसने सफलता पूर्वक पूरे किए।
कार्य के दौरान एवं पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वह मानसिक एवं शारीरिक रूप से रोग ग्रस्त हो गया। अस्वस्थता के कारण वह अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन भी नहीं कर पा रहा था। प्रारंभ में अनुपस्थिति के बाद भी चिकित्सकीय प्रमाण पत्र के आधार पर सर्विस में ले लिया गया।
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वर्ष 2011 से मानसिक अस्वस्थता के कारण वह ड्यूटी पर कार्यालय में उपस्थित नहीं हो पा रहा था। पुलिस अधीक्षक जांजगीर ने उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए उसकी 43 दिन की अनुपस्थिति पर उसे आरोप पत्र जारी कर दिया। 18 फरवरी 2013 को आदेश जारी कर सेवा से हटा दिया।डीजीपी ने भी खारिज कर दी थी अपील
इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज के समक्ष अपील प्रस्तुत की। उसकी अपील को 2 जनवरी 2014 को खारिज कर दिया गया। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के समक्ष प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका भी 21 अक्टूबर 2014 को निरस्त कर दी गई। यह भी पढ़ें
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