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ट्रेन ड्राइवर्स से जानिए रेल हादसों की सबसे बड़ी वजह

आखिर रेल हादसे होते क्यों हैं.. आइए रिटायर्ड ट्रेन ड्राइवरों से जानते हैं इन हादसों के पीछे की असल वजह

Aug 29, 2017 / 09:34 am

Chandra Prakash

नई दिल्ली। एक के बाद एक हुए रेल हादसों से कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। आखिर क्यों बार-बार रेल हादसे हो रहे हैं। विगत वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष रेल हादसों में वृद्धि हुई हैं। इसी महीने दो बड़े रेल हादसों के बाद मंगलवार को तीसरा रेल हादसा हो गया। आखिर ये हादसे होते क्यों हैं…ये एक आम आदमी से ज्यादा सही तरीके के एक रेलकर्मी बता सकता है। आइए रिटायर्ड ट्रेन ड्राइवरों से जानते हैं इन हादसों के पीछे की असल वजह
समय से नहीं होती ट्रैक की मरम्मत
स्पेशल ग्रेड के ट्रेन ड्राइवर राजवीर सिंह बताते हैं कि रेलवे में उच्च पदों पर संख्या बढ़ रही है, लेकिन निचले स्तर पर कर्मचारियों की भर्ती नहीं की जा रही है। पोर्टर और खलासी पदों पर नौकरी करने वाले कर्मचारियों को उच्चाधिकारियों द्वारा अपने आवास पर काम करने के लिए रख लिया जाता है, जबकि जिन लोगों को जानकारी नहीं होती उन्हें काम के लिए लाइन पर छोड़ दिया जाता है। ट्रैक पर हाई स्पीड की ट्रेनें दौड़ाई जा रही हैं, लेकिन उनकी समय से मरम्मत नहीं की जा रही है। कर्मचारियों की लापरवाही से भी ट्रेन दुर्घटनाएं हो रही हैं।
Train accident
ड्राइवरों को नहीं मिलता अवकाश
ड्राइवरों की कमी के चलते उन्हें अवकाश नहीं दिया जाता। ड्राइवर 24 से 48 घंटे तक लगातार नौकरी करता है। इतना काम करने के बाद भी उच्चाधिकारियों द्वारा ड्राइवर को फटकार लगाई जाती है। इससे ड्राइवर परेशानी के बीच नौकरी करने को विवश होते हैं। यही हालत रेल के गार्डों की है।
Train accident
प्रमोशन में आरक्षण रेलवे में बढ़ा रहा परेशानी
स्पेशल रेल ड्राइवर गीतम सिंह बताते हैं कि रेलवे में प्रमोशन में आरक्षण भी कहीं न कहीं हादसे की वजह है। प्रमोशन में आरक्षण पाकर अपात्र भी ऊंचे ओहदे पर पहुंच जाते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में हादसे कर बैठते हैं। प्रमोशन में आरक्षण प्रक्रिया समाप्त होनी चाहिए, तभी रेलवे में बदलाव आ सकता है।
मेट्रो जैसा बनाना होगा रेल में प्रावधान
रेलवे अभी तक समय से रेल चलाने के प्रावधान पर कायम नहीं रह सका है। मेट्रो रेल से भारतीय रेल अधिकारियों को सीख लेने की जरूरत है। रेल को समय से चलाने के लिए उसमें उच्च स्तर से निचले स्तर तक बदलाव करने होंगे। रेल कर्मचारियों से आठ या 12 घंटे ही काम लिया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

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