टेक्टोनिक प्लेट्स के खिसकने पर आते हैं भूकंप
धरती के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) होती हैं। जब ये प्लेट्स खिसकती हैं तब भूकंप आते हैं। खतरा तब ज्यादा बढ़ जाता है जब झटके फॉल्ट लाइन प्रेशर की वजह से आए। ये वो जगह होती हैं जहां टेक्टोनिक्स प्लेटें जुड़ी हुई होती हैं। ऐसी जगहों पर टकराव ज्यादा होता है। इनके आस-पास वाले इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा होता है। दिल्ली-एनसीआर में ऐसी कई जगह हैं जहां बहुत से फॉल्ट लाइन प्रेशर हैं।
धरती के नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) होती हैं। जब ये प्लेट्स खिसकती हैं तब भूकंप आते हैं। खतरा तब ज्यादा बढ़ जाता है जब झटके फॉल्ट लाइन प्रेशर की वजह से आए। ये वो जगह होती हैं जहां टेक्टोनिक्स प्लेटें जुड़ी हुई होती हैं। ऐसी जगहों पर टकराव ज्यादा होता है। इनके आस-पास वाले इलाकों में भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा होता है। दिल्ली-एनसीआर में ऐसी कई जगह हैं जहां बहुत से फॉल्ट लाइन प्रेशर हैं।
इन इलाकों पर मंडरा रहा खतरा
वैज्ञानिकों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में कई ऐसे इलाके हैं जहां टेक्टोनिक प्लेट्स जुड़े हुए हैं। इसलिए यमुना तट के करीबी इलाके, पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, मयूर विहार, लक्ष्मी नगर, गुड़गांव, रेवाड़ी और नोएडा के नजदीकी क्षेत्रों में भूकंप की आशंका सबसे ज्यादा है। यहां 7.9 तीव्रता तक के बड़े भूकंप आ सकता हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में कई ऐसे इलाके हैं जहां टेक्टोनिक प्लेट्स जुड़े हुए हैं। इसलिए यमुना तट के करीबी इलाके, पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, मयूर विहार, लक्ष्मी नगर, गुड़गांव, रेवाड़ी और नोएडा के नजदीकी क्षेत्रों में भूकंप की आशंका सबसे ज्यादा है। यहां 7.9 तीव्रता तक के बड़े भूकंप आ सकता हैं।
दो महीने में 7 भूकंप