दरअसल, इस्लामिक गुरु शाहपीर की नौंवी पीढ़ी के वंशज आज भी इस मकबरे की देखभाल करते हैं। प्रशासनिक और पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते मकबरे में पत्थरों की दीवारे और उन पर की गई नक्काशी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। झरोखे और दरवाजे भी टूट चुके हैं। आने-जाने के रास्ते पर कूड़े और गंदगी का ढेर लगा है।
यह भी पढ़ें- World Heritage Day 2021: विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं यूपी के प्रमुख स्मारक, जानें विशेषताएं चारों तरफ हो चुका अतिक्रमण मेरठ में इंदिरा चौक पर गुलमर्ग सिनेमा के पास बना बाबा शाहपीर का मकबरा मेन रोड से 100 मीटर अंदर बना हुआ है, लेकिन अतिक्रमण के चलते मकबरा अब सड़क से भी दिखाई नही देता। प्रवेश मार्ग पर दुकाने, ढाबे, खोखे और आसपास ऊंची-ऊंची इमारतें बन चुकी हैं। जिस कारण से यह लोगों की आंखों से ओझल हो चुका है। मकबरे को आने वाले एकमात्र रास्ते पर भी चाय खोखे वालों का इस कदर अतिक्रमण हो चुका है कि मार्ग की शुरुआत ही गुम हो चुकी है। वहीं, गेट पर पब्लिक टॉयलेट तक बना दिए गए हैं।
सुरक्षा और संरक्षण की दरकार इस मकबरे पर रोजाना सैकड़ों अकीदतमंद अपनी मुराद लेकर आते हैं। लोकल पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से आए दिन यहां असमाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है, जो कब्रों और मकबरे को क्षतिग्रस्त करते हैं।
बलुआ पत्थरों की बिल्डिंग इतिहासकारों के अनुसार, सन 1633 में मुगल बादशाह जहांगीर के शासनकाल में उनके इस्लामिक गुरु शाहपीर रहमतउल्लाह अलैह के इस खूबसूरत मकबरे की संग-ए-बुनियाद नूरजहां ने रखी थी। मकबरे में आगरा और दिल्ली के लाल किले के बलुआ पत्थरों और नक्काशी का प्रयोग किया गया है।
देश-विदेश में मान्यता इस मकबरे की भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मान्यता है कि यहां मांगी गई हर दुआ कुबूल होती है। एक पर्चे पर लिखकर मुराद को पीर पर रख दिया जाता है। इसलिए शाहपीर का मकबरा देश-विदेश में प्रसिद्ध है। इस ऐतिहासिक इमारत को नुकसान खुद पुरातत्व विभाग पहुंचा रहा है। विभाग की मिलीभगत के चलते आज मकबरे के चारों तरफ अतिक्रमण हो चुका है। दूर से दिखने वाला मकबरा आज सड़क से दिखाई नही देता है।
पुरातत्व विभाग का कोई सहयोग नहीं बाबा शाहपीर के वंशज और केयर टेकर सैय्यद मोहम्मद अली कहते हैं कि पुरात्तत्व विभाग और प्रशासनिक बेरुखी के कारण यह दरगाह अपनी पहचान खोती जा रही है। पुरातत्व विभाग का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। पुरातत्व विभाग यहां पर अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहा है।