यह भी पढ़ेंः पिछले साल के मुकाबले इस बार एेसी पड़ेगी सर्दी, मौसम वैज्ञानिकों ने बतार्इ इसकी यह वजह यह भी पढ़ेंः Cyclone Titli: जानिए इस तूफान का नाम ‘तितली’ ही क्यों पड़ा, अन्य तूफानों के नाम भी इसी तरह रखे गए! धूल के कण हवा में उड़ रहे हैं मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि हरियाणा आैर पंजाब के किसान धान के अवशेष इन दिनों जलाते हैं, इसलिए इसमें एतिहात बरतने की जरूरत है। इसके कारण एनसीआर आैर वेस्ट यूपी के जनपदों में इसका बेहद बुरा असर पड़ रहा है। यहां वायु प्रदूषण का स्तर धान के अवशेष जलने से बढ़ जाएगा। धुंध आैर आकाश में हल्के बादल से स्माॅग का खतरा बढ़ जाएगा। कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. यूपी शाही ने बताया कि धान के अवशेष जलाए जाने से 100 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर रहने वाला प्रदूषण का स्तर 300 से ज्यादा पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि अभी एेसे हालात नहीं हैं कि दिन में अंधेरा छा जाए, लेकिन अक्टूबर के आखिरी सप्ताह आैर नवंबर के पहले सप्ताह में दिन में अंधेरा छाने की संभावना है। हवा की गति कम होने से धूल के कारण वायुमंडल में तैर रहे हैं, जिससे यह स्थिति ठीक नहीं कही जा सकती।