यह भी पढ़ेंः आंधी और बारिश से गेहूं और आम की फसल को पहुंचा नुकसान, अगले 48 घंटे के मौसम के लिए अलर्ट इस गांव के बाहर एक प्राइमरी स्कूल है। इस प्राइमरी स्कूल में ग्रामीणों ने चारपाई और बिस्तर डाले हुए हैं। गांव में अगर कोई बाहरी व्यक्ति या किसी का कोई रिश्तेदार आ रहा है तो उसको इसी प्राइमरी स्कूल में मेहमान बनकर रहना पड़ रहा है। हालांकि खाने-पीने का पूरा इंतजार उस घर के लोगों को करना होता है, जिसका वह मेहमान है, लेकिन उसे रहना इसी प्राइमरी स्कूल में होता है। गांव के युवक बबलू ने बताया कि हमने अपने गांव को कोरोना से मुक्त करने के लिए ही यह व्यवस्था बनाई है।
यह भी पढ़ेंः मेरठ में संक्रमितों की सबसे बड़ी कोरोना चेन मिली, इसके बाद इतनी बढ़ा दी गई सख्ती उन्होंने बताया कि ग्रामीण और शहरी परिवेश में अंतर हैं। यहां रिश्तेदारियां नजदीक हैं लोग गांव में आते भी हैं। ऐसे में अगर उनको गांव के भीतर घुसने से मना किया जाए तो लोग बुरा मान जाते हैं। कोरोना से बचना है और रिश्तेदारी भी निभानी है तो इसलिए हमने यह व्यवस्था की है। इससे आने वाले मेहमान को भी परेशानी नहीं होती और उसकी आवभगत भी खूब हो जाती है। उन्होंने बताया कि यह प्राइमरी स्कूल गांव के बाहर है। गांव में जिस व्यक्ति के यहां मेहमान आता है वो इसी स्कूल में रुकता है। उसके खाने-पीने और चाय-नाश्ते का इंतजाम भी यहीं किया जाता है। ग्रामीण नवीन का कहना है कि मेहमानों का पूरा इंतजाम स्कूल के भीतर किया हुआ है। जिससे उनको कोई परेशानी न हो।