यह भी पढ़ें- अस्पताल में नहीं मिल रहा बेड तो यहां मिलेगा पूरा इंतजााम, कैलाश मानसरोवर भवन को बनाया गया 140 बेड का अस्थाई कोविड-19 सेंटर ईएनटी स्पेशलिस्ट डाॅ. अमित गुप्ता का कहना है कि कोरोना अब लोगों के बोलने की क्षमता पर भी प्रहार कर रहा है। उनके पास ऐसे कई लोगों के फोन आए हैं, जो कोरोना से तो ठीक हो गए, लेकिन इस प्रकार की समस्या से परेशान हैं। ऐसे मरीज अब अपने ही घर में खुद से अपना इलाज कर रहे हैं, लेकिन खुद से इलाज करना काफी घातक है।
बोलने वाले तार पर सूजन या गांठ होने की संभावना डाॅ. अमित गुप्ता का कहना है कि गले में भारीपन होने पर लापरवाही न करें और चिकित्सक के परामर्श से इलाज शुरू करें। उन्होंने बताया कि लोगों की शिकायत है कि उनकी आवाज बैठ जा रही है। कोरोना संक्रमण के दौरान मरीजों को ज्यादा खांसी की शिकायत होने के बाद उनके वोकल कार्ड यानी बोलने वाले तार पर सूजन अथवा गांठ होने की संभावनाएं बन जाती हैं। इसकी वजह से उन्हेंं समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसको लेकर सर्तकता बरतने की जरूरत है।
दूरबीन से कराएं जांच वैसे तो गरारा करने से कुछ दिन में अपने आप यह समस्या दूर हो जाती है, लेकिन जिन मरीजों को आवाज में भारीपन की शिकायत लंबे समय तक बनी रहती है, उन्हेंं विशेषज्ञ से परामर्श लेने के बाद गले की दूरबीन से जांच करानी चाहिए। मरीज खुद से कोई दवा न शुरू करें। इससे उन्हेंं और ज्यादा परेशानी हो सकती है। पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीजों में गले में खराश और आवाज में भारीपन की समस्या तेजी से बढ़ी है।