scriptPatrika Exclusive: जिस उम्र में उंगली पकड़कर चलना सीखते हैं बच्चे, साढ़े चार साल की र्इहा ने पकड़ ली थी खुरपी, देखें वीडियो | National Child Award winner Eiha Dixit father Kuldeep shared facts | Patrika News
मेरठ

Patrika Exclusive: जिस उम्र में उंगली पकड़कर चलना सीखते हैं बच्चे, साढ़े चार साल की र्इहा ने पकड़ ली थी खुरपी, देखें वीडियो

राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता ईहा दीक्षित के पिता कुलदीप ने साझा की बातें

मेरठJan 25, 2019 / 09:57 pm

sanjay sharma

meerut

Patrika Exclusive: जो हाथ उगली पकड़कर चलना सीखते हैं ईहा ने साढ़े चार साल की उम्र ही पकड़ ली थी खुरपी, देखे वीडियो

केपी त्रिपाठी, मेरठ। मेरठ की ईहा दीक्षित आज देश ही नहीं दुनिया की मीडिया की सुर्खियां बनी हुई हैं। छह साल की उम्र में उसने ऐसा करिश्मा कर दिखाया कि आज उसके परिजनों को उस पर गर्व हो रहा है। ईहा दीक्षित को देश के राष्ट्रपति के हाथों पर्यावरण में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला तो उसके पिता कुलदीप दीक्षित का सीना फक्र से चौड़ा हो गया और सिर गर्व से उठ गया।
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ईहा दीक्षित के पिता कुलदीप दीक्षित ने ‘पत्रिका’ से हुई बातचीत मे बताया कि ईहा को पौध लगाने की ललक चार साल से ही थी। उन्होंने बताया कि वह जब चलना भी नहीं सीखी थी तब से वह पेड़-पौधों को और हरियाली को बड़े गौर से देखा करती थी। उन्होंने बताया कि ईहा ने साढ़े चार की उम्र में ही खुरपी से जमीन को खोदना शुरू कर दिया था। बेटी की कम उम्र में यह लगन देखकर कुलदीप ने भी बेटे के हौंसलों को उड़ान दी और उसके साथ जुट गए। चूंकि ईहा छोटी थी और अकेले जमीन खोदने का काम नहीं कर पाती थी, इसलिए उसके साथ मदद के लिए कोई न कोई होता था।
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वह बताते हैं कि एक छोटी सी जिद ने ईहा को आज उस मुकाम पर पहुंचा दिया, जिसकी सराहना पीएम मोदी से लेकर देश का हर कोई नागरिक कर रहा है। जागृति विहार निवासी ईहा दीक्षित मेरठ के मेडिकल कालेज में ही अकेले एक हजार से अधिक पौध रोप चुकी है। जो काम बड़े-बड़े एनजीओ पर्यावरण के नाम पर नहीं कर पाते। वह काम इस नन्हीं सी बेटी ने उस उम्र में कर दिखाया। जिस उम्र में अपने हाथ से माता-पिता की उंगली पकड़कर बच्चे चलना सीखते हैं। राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पाने वाली ईहा प्रत्येक रविवार को पौधे लगाने का काम करती है। इतना ही नहीं वह आसपास के लोगों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करती है। ईहा के पिता बताते हैं कि उन्हें ईहा के लिए आज तक कहीं से कोई मदद नहीं मिली।
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ईहा के लगन को देखते हुए वे प्रत्येक रविवार दस पौधे खुद खरीदकर लाते हैं और ईहा उनको ऐसे स्थान पर लगाती है जहां पर पेड़-पौधे नाममात्र के होते हैं। बताते चलें कि ईहा सबसे कम उम्र में ये पुरस्कार पाने वाली यूपी की इकलौती बेटी हैं। ईहा ने मेरठ का नाम भी रोशन किया है। मेरठवासियों को उसके दिल्ली से आने का इंतजार है। ईहा कल दिल्ली में होने वाली 26 जनवरी की परेड में भी भाग लेगी। उसके बाद वह रविवार को मेरठ आएगी।

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