यह भी पढ़ेंः इनसे भी महीना बांधने पहुंच गया सिपाही, जमकर हुआ हंगामा चरला-निहारी में 85 किसानों को आवंटित गौरतलब है कि 20 अक्टूबर 2002 को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लगभग 85 किसानों को चरला-निहारी में सरकारी बंजर जमीन पर पट्टे की भूमि आवंटित की थी। सब कुछ ठीक चलता रहा। खसरा खतौनी में भी किसानों के नाम उल्लेख हो गए थे, लेकिन कुछ भूमाफियाओं ने मिलीभगत करके खसरा खतौनी में निरस्त का उल्लेख दर्ज करा दिया, जबकि आज तक भी सभी किसानों के नाम खसरा खतौनी में लिखे हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन भूमाफियाओं ने इन किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए कोर्ट में केस डाल दिया था।
यह भी पढ़ेंः कार्रवार्इ की मांग करते-करते एसएसपी कार्यालय पर बेहोश हो गर्इ गुलनाज! 2017 में कोर्ट ने सुनाया था फैसला कोर्ट ने इस मामले में चार बार आदेश किसानों के हक में दे दिए। अंतिम बार हाईकोर्ट ने किसानों के हक में फैसला आठ दिसंबर 2017 को दे दिया था। तब से लेकर अब तक किसान अधिकारियों के यहां भूमि पर कब्जा दिलाए जाने को लेकर चक्कर काट रहे हैं। परंतु उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। आदेश को दो माह बीतने में कुछ ही दिन बाकी हैं। कुछ किसानों ने अब जमीन मिलने की आस पूरी तरह छोड़ दी है, तो कुछ अभी भी लड़ाई लड़ रहे हैं।
यह भी पढ़ेंः कुख्यात इनामी के इस शहर से जुड़े थे तार, सांठगांठ की वजह से यहां कभी पकड़ा नहीं गया! नहीं मिला जमीनी हक तो आत्महत्या को होंगे मजबूर बहुत से किसान ऐसे भी हैं जो आत्महत्या का मन बना रहे हैं, लेकिन अधिकारी भूमाफियाओं के साथ मिलकर गरीब किसानों का हक छीन रहे हैं, जबकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भूमाफियाओं पर लगाम लगाने के निरंतर आदेश दे रही है। एसडीएम मवाना का कहना है कि उन्हें ऐसा कोई आदेश कोर्ट से प्राप्त नहीं हुआ जिसको आधार बनाकर इन किसानों को जमीन दिलवाई जा सके। वैसे इस पूरे मामले केा दिखवाएंगे कहां पर प्रशासन की कमी है और किसानों की बात कितनी सही है। किसानों को उनका पूरा हक दिलवाया जाएगा जिसके वह हकदार है।