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दरअसल, किसानों के लिए यह याेजना स्वैच्छि किए जाने के बावजूद भी किसानों के प्रमाणपत्र संबंधित बैंकों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में बैकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आगे चलकर किसानाें काे इसका खामियाजा ना उठाना पड़े इसलिए समय से बैंक काे सूचित करना जरूरी है। फसली ऋण लेने वाले ऋणी किसानों को योजना का लाभ नहीं लेने के लिए बीमा कराने की अंतिम तिथि के सात दिन के भीतर बैंक शाखा में लिखित रूप से अवगत कराना जरूरी है। किसान अगर ऐसा नहीं करते तो उनके खाते से प्रीमियम की कटौती कर ली जाएगी। इसलिए अगर आप भी प्रीमियम से बचना चाहते हैं ताे आज ही अपने बैंक से संपर्क कर लें। यह भी पढ़ें
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किसानों की भागीदारी की अंतिम तिथि खरीफ फसल के लिए 31 जुलाई रखी गई है। 31 जुलाई में अब मात्र चंद दिन नही शेष बचे हैं। इसके बावजूद अधिकांश किसानों ने अपने क्षेत्र के बैकों में अभी तक लिखित रूप से अवगत नहीं कराया है कि वह बीमा फसल याेजना चाहते हैं या नहीं ? यही कारण है कि, बैंक ने एक बार फिर से किसानाें काे रिमाइंडर जारी किया है। बैंकाें ने कहा है कि, अगर किसान शाखा आने में असमर्थ हैं ताे वह ई-मेल, भेजकर या हस्त लिखित प्रार्थना पत्र को स्कैन करके भेजकर किसी भी माध्यम से भेजते हैं तो उसे स्वीकार कर लिया जाएगा लेकिन इसके लिए समय सीमा तय हाे गई है। कोरोना के खतरे के बीच बैंक भी किसानों काे शाखा बुलाना नहीं चाहते हैं इसलिए बैंकों को भी यह गाइडलाइन मिल चुकी है कि वह किसी भी माध्यम से अपने प्रार्थनापत्र बैंकों काे भेज दें। यह भी पढ़ें
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जनपद स्तर पर योजना के सुनिश्चित करने के लिए डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय मानीटरिंग कमेटी भी गठित की गई है। ईमेल, वाटसएप और मोबाइल से भेजे गए प्रार्थना पत्रों की स्कैन कापी को बैंकों को स्वीकार करने के लिए कहा गया है। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर बैंक मित्र और संबंधित बैंक शाखा के कर्मचारी भी किसानों से हस्तलिखित प्रार्थना पत्र प्राप्त कर सकेंगे। यह भी पढ़ें
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जनपद के सभी किसानों के पास तक सूचना पहुंचा दी गई है कि वे अपनी-अपनी बैंक शाखाओं में अपने हस्ताक्षर युक्त प्रार्थना पत्र जमा करवा दें। अगर किसी गांव के किसानों को प्रार्थना पत्र जमा करवाने में परेशानी आ रही है तो वो बैंक से संपर्क कर लें बैंक ने ईमेल-वाटसएप समेत अन्य माध्यमों से भी एप्लीकेशन स्वीकार करने लेने की बात कही है।प्रमोद सिरोही, जिला कृषि अधिकारी