यह भी पढ़ेंः पाकिस्तानी ‘तितली’ के कारण इन 24 घंटों में यूपी समेत उत्तर भारत के राज्यों में मच सकती है तबाही, मौसम वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी आखिर इसका नाम तितली क्यों इस समय जो तूफान उड़ीसा के तटीय क्षेत्र में सक्रिय है और तबाही मचा रहा है उसकी रफ्तार 140 किलोमीटर प्रति घंटा हैं और इनके 160 किमी/घंटा तक पहुंचने का अनुमान है। इस पर लोगों के जेहन में सवाल उठ रहा है कि जब तूफान इतना भयानक है तो इसका नाम तितली क्यों रखा गया। डा. कंचन सिंह के अनुसार चक्रवातों के नाम इसलिए रखे जाते हैं, ताकि सागर में एक साथ आने वाले कई तूफानों को चिन्हित कर उनकी पहचान की जा सके। आमतौर पर जब किसी तूफान की रफ्तार 40 किमी/घंटा से ज्यादा होती है तो उस तूफान का नामकरण किया जाता है।
यह भी पढ़ेंः Alert: वेस्ट यूपी में कुछ ही मिनटों में खिली धूप के बाद हुआ अंधेरा फिर हुर्इ बारिश, मौसम वैज्ञानिकों ने ‘तितली’ से तबाही की बतार्इ आशंका ये है नाम रखने का तरीका वैसे तो सन 1950 से तूफानों का नाम रखने का चलन है, लेकिन हिंद महासागर में आए तूफानों या साइक्लोन का नाम रखने की शुरूआत सन 2000 से हुई। इसका आठ देशों का एक ग्रुप बना हुआ है। इन आठ देशों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं। इसके बाद इन आठ देशों की वर्ष 2004 में एक काफ्रेंस थाईलैंड में हुई जिसमें एक नया फार्मूला बनाया गया। जिसके अनुसार सभी शामिल आठ देशों ने आठ-आठ नाम मांगे गए। सभी देशों के प्रतिनिधियों ने आठ नामों पर सुझाव दिए। जिससे इन नामों की संख्या 64 हो गई। इन नामों की सूची को जिनेवा स्थित मौसम विभाग को सौंपा गया। जेनेवा स्थित मौसम विभाग का ही हिन्द महासागर में आने वाले तूफानों का नाम लिस्ट में आने वाले सीरियल के अनुसार तय कर देता है। अपने देश भारत की ओर से बिजली, जल, अग्नि, आकाश, लहर, मेघ, सागर और वायु जैसे नाम दिए हैं। इसी तरह पाकिस्तान ने फानूस, लैला, नीलम, वरदाह, तितली और बुलबुल नाम दिए हैं। इस कारण ही ओडिशा में आए मौजूदा तूफान का नाम ‘तितली’ दिया गया। डा. कंचन सिंह ने बताया कि बीते वर्ष 2013 में आंध्र प्रदेश और ओडिशा में फेलिन ने कहर बरपाया था। यह थाईलैंड द्वारा सुझाया गया नाम था। इन देशों के द्वारा दिए गए नाम एक बार इस्तेमाल होने के बाद आमतौर पर रिटायर होते रहते हैं।