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मेरठ

लोकसभा चुनाव 2024: इस सीट पर 1952 से कायम था कांग्रेस का राज, 1999 से पीना पड़ रहा हार का घूंट; इस बार फतह की तैयारी

लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार कांग्रेस मेरठ सीट से पूरी तैयारी के साथ उतरेगी। इस बार कांग्रेस मेरठ लोकसभा सीट से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर प्रत्याशी उतारेंगी। बता दें सन 1999 के बाद से कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी है।

मेरठOct 20, 2023 / 07:14 pm

Kamta Tripathi

लोकसभा चुनाव 2024: इस सीट पर 1952 से कायम था कांग्रेस का राज, 1999 से पीना पड़ रहा हार का घूंट; इस बार फतह की तैयारी

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस का निशाना इस बार केवल भाजपा है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को हराने के लिए कोई भी पैंतरा आजमाने को तैयार है।

मेरठ में कांग्रेस का सुनहरा अतीत

मेरठ में कांग्रेस का सुनहरा अतीत रहा है। अपने इस सुनहरे अतीत को दोहराने के लिए कांग्रेस किसी भी कीमत पर मेरठ—हापुड लोकसभा सीट पर अपनी वापसी चाहती है। इसके लिए राजनीतिक हलकों में भी चर्चा शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि मेरठ—हापुड लोकसभा सीट से कांग्रेस आम चुनाव 2024 में अपना ही प्रत्याशी मैदान में उतारेगी। सूत्रों की माने तो कांग्रेस इस बार किसी हिंदू चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी में हैं।

बता दें 2009 के बाद से मेरठ-हापुड लोकसभा सीट पर लगातार भाजपा काबिज होती आ रही है। भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल 2009 में मेरठ-हापुड लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। उसके बाद से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा इस लोकसभा चुनााव 2024 में चौथी बार चुनाव जीतकर एक बार फिर से भगवा फहराने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस ने यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही
इंडिया गठबंधन में कांग्रेस और सपा के बीच राजनैतिक तनाव चरम पर है। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में सपा को एक भी सीट नहीं दी है। जिससे सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रोष में हैं। अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा भी है कि कांग्रेस को इसका खामियाजा लोकसभा चुनाव 2024 में यूपी में भुगतना होगा।
इसी बीच कांग्रेस के यूपी अध्यक्ष अजय राय ने घोषणा की है कि इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि पार्टी आलाकमान पर गठबंधन और सीटों के बंटवारे का जिम्मा होने और आलाकमान के फैसले के अनुरूप काम करने की बात भी कही है।
पश्चिम यूपी में कांग्रेस सभी सीटों पर मजबूत प्रत्याशी उतारने की तैयारी
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभिमन्यू त्यागी का कहना है कि पश्चिम यूपी में कांग्रेस सभी सीटों पर मजबूत प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि इस बार कांग्रेस मेरठ सीट पर विशेष फोकस कर रही है। उन्होंने कहा इस बार कांग्रेस मेरठ—हापुड लोकसभा सीट पर जीत हासिल करेगी।
मुस्लिम वोटरों का रूझान कांग्रेस की तरफ
मेरठ की राजनीति को नजदीक से जानने वाले नवीन प्रधान का कहना है कि इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में मेरठ—हापुड लोकसभा सीट पर परिस्थितियां काफी बदली होंगी। मुस्लिम वोटरों का रूझान कांग्रेस की तरफ हो रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में भी अगर ऐसाा हुआ इसका जबरदस्त फायदा कांग्रेस को मिलेगा। लेकिन इसके लिए कांग्रेस को कोई मजबूत प्रत्याशी मेरठ-हापुड लोकसभा सीट पर उतारना होगा।
1952 से मेरठ में रहा कांग्रेस का राज कायम
बात मेरठ लोकसभा सीट की करें तो यहां पर 1952 से कांग्रेस का राज कायम रहा है। मेरठ में 1952 में पहली लोकसभा का चुनाव हुआ तो कांग्रेस मेरठ की तीनों लोकसभा सीटों पर भारी मतों से जीती थी। उसके बाद से लगातार कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल करती आई है। 1952 में मेरठ पश्चिम सीट से खुशी राम शर्मा, मेरठ दक्षिण सीट से कृष्ण चंद्र शर्मा और मेरठ उत्तर पूर्व से शााहनवाज खान सांसद बने थे।
शाहनवाज खान लगातार दूसरी बार मेरठ से सांसद बनें। उसके बाद मेरठ लोकसभा सीट से मोहसिना किदवई लगातार तीन बार जीत हासिल करती रही। मोहसिना किदवई 1980, 1984 में लगातार दो बार सांसद बनीं। मोहसिना किदवई 1989 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी एस के उम्मीदवार हरीश पाल से चुनाव हार गईं।

1999 में भड़ाना ने कराई थी कांग्रेस की वापसी
1989 के बाद से हुए आम चुनाव में कांग्रेस लगातार हार का कडवा स्वाद चखती रही। 1991 में कांग्रेस को भाजपा के ठाकुर अमरपाल सिंह ने हराया था। उसके बाद 1996 और 1998 में भाजपा के पास लगातार तीन बार मेरठ लोकसभा सीट रहीं। 1999 में हुए आम चुनाव में मेरठ लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना ने कांग्रेस की वापसी करवाई। 2004 में कांग्रेस से मेरठ सीट बसपा ने छीन ली और यहां से शाहिद अखलाक सांसद बनें। उसके बाद 2009 से मेरठ—हापुड लोकसभा सीट लगातार भाजपा के पास ही है।

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