यह भी पढ़ेंः केरल के ‘निपह’ वायरस के कारण प्राइवेट अस्पतालों ने नर्सों की छुट्टी रद की यह भी पढ़ेंः पुलिसकर्मियों को कार में लेकर भागने लगा आरोपी, पढ़िए यह रोचक घटना बड़ी संख्या में आते थे नमाज के लिए लिसाड़ी गांव के आसपास मस्जिद न होने पर वहां से बड़ी संख्या में लोग मस्जिद कुरैशियान में नमाज अदा करने आते थे। मस्जिद के अब्दुल वहाब ने बताया कि मस्जिद के मेहराब और गुंबद की नक्काशी बेजोड़ है। मेरठ की जामा मस्जिद में जो कारीगरी की गई है उसके बाद इस कुरैशियान मस्जिद का नंबर आता है। इस मस्जिद के मेहराब और मिंबर की बनावट अद्भुत है। मस्जिद इस्लाम की स्थापत्य कला का प्रशंसनीय और बेजोड़ उदाहरण है। इसके शिखर और छज्जे नक्काशीदार है। जो उस जमाने में ही पेपरमैशी नामक लकड़ी से सुसज्जित किए गए हैं।
यह भी पढ़ेंः सौ करोड़ के कर्जदार मेरठ के नीरव मोदी की सम्पत्ति पर पिछले 15 दिन में लग गए 25 नोटिस! यह भी पढ़ेंः यूपी के इस शहर में पुरुष नहीं महिलाएं हैं शराब माफिया, इनके इशारे में चल रहा जोरों का धंधा! पिलर पर बनाई गई पूरी मस्जिद मस्जिद की सबसे अहम खासियत यह है कि यह पिलर पर बनाई गई है। मस्जिद के नीचे रहने के लिए घर बनाए गए थे और उसके ऊपर पूरी मस्जिद बनाई गई थी। मस्जिद के चारों ओर बाहर की तरफ बड़े-बड़े खाने बनाए गए थे, जो आज पूरी तरह से दुकान का रूप ले चुके हैं। इन दुकानों का जो किराया आता है उसी से मस्जिद की देखभाल और मरम्मत होती है।