यह भी पढ़ें- Patrika Positive News ऑक्सीजन आपूर्ति में आत्मनिर्भर हुए वाराणसी के अस्पताल अब स्वास्थ्य केंद्रों पर प्लांट लगाने की तैयारी दरअसल, मेरठ में गढ़ रोड स्थित न्यूटिमा अस्पताल में भर्ती मुजफ्फरनगर के एक मरीज की ब्लैक फंगस के कारण मौत हो गई है। वहीं दूसरी ओर एक अन्य अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीज की आंख ब्लैक फंगस से खराब हो गई हैं, जिसके चलते चिकित्सकों को मरीज की आंख निकालनी पड़ी हैं। न्यूटिमा हॉस्पिटल के डायरेक्टर डाॅ. संदीप गर्ग ने बताया कि अस्पताल में भर्ती 55 साल के एक मरीज की मौत ब्लैक फंगस के चलते हुई है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को अवगत करा दिया गया है।
वहीं, मेरठ में ब्लैक फंगस के बढ़ते केसों को देखते हुए अब प्रशासन भी अलर्ट मोड पर आ गया है। जिला प्रशासन अब निजी अस्पतालों एवं ईएनटी चिकित्सकों से ब्लैक फंगस के मरीजों का डेटा जुटा रहा है। बता दें कि इससे पहले मेडिकल कॉलेज में भी पांच मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से एक मरीज को गंभीर होने पर दिल्ली रेफर कर दिया गया था। वहीं जिले के कोविड अस्पतालों में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीज भर्ती हैं।
बाजार से गायब हुई ब्लैक फंगस की दवाएं ब्लैक फंगस संक्रमण के पांव पसारते ही बाजार से इसकी दवाएं भी गायब हो चुकी हैं। मरीजों को संक्रमण से बचाव की जरूरी दवाएं नहीं मिल रही हैं, जिससे उनकी जिंदगी दांव पर लगी हुई है। ईएनटी विशेषज्ञ डाॅ. सुशील कुमार गुप्ता ने बताया कि म्यूकर माइकोसिस नामक फंगस वातावरण में हमेशा रहता है, लेकिन कोविड-19 मरीजों को यह अधिक संक्रमित कर रहा है। यह कोविड मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उनको संक्रमित करता है। उन्होंने बताया कि इस समय उनके पास ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ी है। फंगस ऐसे मरीजों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है, जिनका शुगर लेवल 400 के आसपास है और जो लंबे समय तक स्टेरायड ले चुके हैं। वक्त पर इलाज और ऑपरेशन की सुविधा न मिले तो मरीज की आंख खराब होने के साथ ही मौत भी हो सकती है।