एक वेबिनार में देश और दुनिया के धर्मगुरूओं ने भाग लिया जिसमें रोजेदारों को रोजे रखने के मायने और धर्म के बारे में पुरसकून जानकारी दी। साउदी अरब के जेददा से वेबिनार में भाग ले रहे मेरठ निवासी कारी असलम ने रोजेदारों को धार्मिक कानून और उसके बारे में जानकारी दी। रोजेदारों को बताया कि मुसलमानों को उस्मानिया खलीफा के पतन से यह सीखना चाहिए कि धार्मिक कानून द्वारा शासित एक राज्य कभी भी सफल नहीं हो सकता क्योंकि विशुद्ध रूप से धार्मिक कानून बमुश्किल परिवर्तन को स्वीकार करते हैं और उस्मानियाई खिलाफल की तरह ही औद्योगीकरण और आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा को भी नजरअंदाज कर देते हैं।
उस्मानिया राज्य ने तथाकथित तौर पर इस्लामी कानून द्वारा शासित होने के बावजूद, भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार सहित कई बुराइयों को प्रदर्शित किया क्योंकि वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था की कमी थी। सत्ता के संयोजन में धर्म ने शासकों को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए जनता के लिए बहुत कम जगह छोड़ी जो साम्राजय के पतन का कारण बनी। इसलिए गलतियों से सीख लेते हुए मुसलमानों को तथाकथित खिलाफत के दुष्प्रचार में नहीं फंसना चाहिए और लोकतांत्रिक मूल्यों में अपने विश्वास को मजबूत बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमकों धर्म के साथ अपने लोकतांत्रिक मूल्यों को भी समझना चाहिए। हम किसी भी देश में रहे वहां के लोकतांत्रिक मूल्यों की कभी खिलाफत नहीं करे। इस दौरान वेबिनार में कारी सुलमान, डॉक्टर नुसरत, सूफी हाजी अरफान आदि ने भी अपने विचार रखें।