जांच में पाया गया कि अस्पताल का संचालन बिना नक्शे के ही हो रहा है। इस संबंध में मकान मालिक को नोटिस जारी कर दिया गया।
मजे की बात यह रही कि जांच को अस्पताल पहुंची टीम को वहां पर कोई डॉक्टर ही नहीं मिला। पता करने पर मालूम हुआ कि डॉक्टर साहब गाजीपुर गए हुए हैं।
मजे की बात यह रही कि जांच को अस्पताल पहुंची टीम को वहां पर कोई डॉक्टर ही नहीं मिला। पता करने पर मालूम हुआ कि डॉक्टर साहब गाजीपुर गए हुए हैं।
इस संबंध में बात करने पर सिटी मजिस्ट्रेट विजेंद्र कुमार ने बताया कि इस अस्पताल के कमीशन को ले कर दो नर्सों का बहस करते हुए वीडियो वायरल हुआ था। इसी को संज्ञान में लेकर हमारी टीम यहां आई है।गौरतलब है कि पिछले दिनों मऊ की एक महिला पूजा को प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन उसे लेकर जिला अस्पताल गए। वहां डॉक्टर ने एक हफ्ता लेट डिलीवरी बता कर उसे घर भेज दिया। घर आने के बाद एक औरत उसके घर आई और बच्चे और उसकी मां दोनों की जान का खतरा बता कर मऊ के भीटी स्थित एपेक्स अस्पताल में भर्ती करा दिया। वहां पर पूजा का ऑपरेशन कर दिया गया।
बस इसी बात को लेकर घर से महिला अस्पताल और घर से एपेक्स अस्पताल ले जाने वाली दोनों महिलाओं शीला और सीमा के बीच कमीशन के चक्कर में जम कर मारपीट हुई। किसी ने उसका वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसी को संज्ञान में लेकर सिटी मजिस्ट्रेट एपेक्स अस्पताल पहुंचे,जिससे पूरे मामले का खुलासा हुआ।
पूरी घटना के संबंध में संबंधित अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही। सभी कागजात मंगवा लिए गए हैं। दोषी पाए जाने पर कठोरतम कार्रवाई होगी।
स्वास्थ्य विभाग के जुगाड़ सिस्टम से चल रहे अस्पताल
मऊ जनपद में बगैर डॉक्टर के कई अस्पताल संचालित होते हैं। उसमें से एक अपेक्स हॉस्पिटल भी है। कमीशन के खेल में एंबुलेंस ड्राइवर और सरकारी अस्पताल के स्टाफ इन अस्पतालों में मरीजों को भेजते हैं।इन अस्पतालों में लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ होता है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि इस तरह के अस्पतालों का संचालन स्वास्थ्य विभाग के मिलीभगत से हो रहा है। इन अस्पतालों की मानक के अनुरूप न तो बिल्डिंग है न ही मानक के अनुसार मेडिकल स्टाफ।
बावजूद इसके धड़ल्ले से इस तरह के अस्पतालों का संचालन हो रहा है ।
वहीं विभागीय सूत्रों की माने तो इन अस्पतालों के संचालन होने पर विभाग से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को लंबा बजट मिलता है, लेकिन सवाल यह है कि लोगों की जिंदगी का कोई मोल नहीं है। जिस तरीके से अस्पताल संचालक और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मिलजुल करके ऐसे कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं,वह जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक प्रश्न चिन्ह ही है।