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मथुरा

भक्ति सच्ची है तो मनोकामना जरूर पूरी होती है, पढ़िए ये रोचक कथा

जो चुनरी श्रीजी के मंदिर में से बाबा को प्रसादी रूप से प्राप्त हुई थी और बरसाने में सांवला बालक छीनकर भाग गया था। वही चुनरी श्री बिहारी जी धारण किए हुए मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।

मथुराJun 04, 2019 / 06:41 pm

धीरेंद्र यादव

बाबा श्री माधव दास जी बरसाने में श्री किशोरी जी के दर्शन के लिए मंदिर की सीढ़ियों से चढ़ते हुए मन ही मन किशोरी जी से प्रार्थना कर रहे हैं.. हे किशोरी जी, मुझे प्रसाद में आपकी वह चुन्नी मिल जाए जिसे आप ओढ़े हुए हो तो मैं धन्य हो जाऊं…। आज ऐसा संयोग बना किशोरी जी की कृपा से पुजारी जी की मन में आया और उन्होंने चलते समय बाबा को श्री किशोरी जी की चुनरी प्रसाद में दे दी।
प्रसाद में चुन्नी को पाकर श्री किशोरी जी की कृपा का अनुभव करके बाबा की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। सीढ़ियों से नीचे उतरने के पश्चात आनंद मध्य लगभग नृत्य करते हुए माधवदास बाबा जैसे ही सड़क की ओर चले।
आठ वर्ष का एक सांवला सलौना बालक, जिसके घुंघराले बाल और मधुर मुस्कान थी। बाबा के पास आकर बोला- बाबा ! जे चुन्नी मोकूँ दे दे। बाबा बालक की ओर निहारते बोले- लाला बाजार ते दूसरो ले लै। मैं तोकूँ रुपया दे रहौ हूं। ऐसा कहिकै बाबा ने एक रुपया निकारि कै दियौ।
बालक ने कहा -बाबा ! मोकूँ पैसा नाय चाहिए। मोकूँ तो जेई चुनरी चाहिए।
बाबा बोले- ये चुनरी श्रीजी की प्रसादी है। भैया मैं जाय चुन्नी तो नाय दूंगौ। ऐसो कहिकै बाबा ने चुन्नी को अपने हृदय से लगा लिया और आगे चल दिए।
थोड़ी दूर ही गए होंगे कि इतने में ही पीछे ते बालक दौड़तो भयो आयौ और बाबा के कंधे पै ते चुन्नी खींच कै भाग गयौ।
बाबा कहते रह गए -अरे ! मेरी बात तो सुनौ लेकिन वह कहां सुनने वाला था। बाबा ठगे हुए से खड़े विचार करते ही करते रह गए कि बालक कौन था। जो इस प्रकार चुन्नी खींच कर ले गया ।
चुनरी के इस प्रकार चले जाने से बाबा उदासी में श्रीधाम वृंदावन लौट आए। शाम को बाबा श्री बिहारी जी के दर्शन के लिए आए तो देखा आज श्रीबिहारीजी के परम आश्चर्यमय दर्शन हो रहे हैं। जो चुनरी श्रीजी के मंदिर में से बाबा को प्रसादी रूप से प्राप्त हुई थी और बरसाने में सांवला बालक छीनकर भाग गया था। वही चुनरी श्री बिहारी जी धारण किए हुए मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे।
बाबा माधवदास जी महाराज प्रसन्नता से भर कर बोले -अच्छा ! तो वह ठग बालक आप ही थे। अरे कुछ देर तो मेरे पास श्रीजी की प्रसादी चुनरी को रहने दिया होता।
सीख
अगर आपके मन में सच्ची भक्ति है तो मनोकामना जरूर पूरी होती है।
प्रस्तुतिः आशीष गोस्वामी
श्री बाँके बिहारी जी मंदिर, श्री धाम वृंदावन

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