मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने मंगलवार को राज्य और गोस्वामी सेवायतों से पूछा कि क्या मंदिर क्षेत्र के पुनर्विकास की प्रस्तावित योजना के संबंध में उनके बीच कोई बातचीत हुई है। इस पर सेवायतों की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि वे न तो कॉरिडोर निर्माण के लिए चढ़ावे में आने वाली रकम को देंगे और ना ही सरकार का किसी तरह का हस्तक्षेप मंजूर है।
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वहीं, यूपी सरकार का कहना है कि जमीन अधिग्रहण पर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खर्च होने का अनुमान है। हाईकोर्ट के आदेश पर मंदिर प्रबंधन से जुड़े सेवायतों और सरकार के बीच प्रयागराज में बैठक भी हो चुकी है। बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका था।
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मंगलवार की सुनवाई में भी सेवायतों ने किसी भी सूरत में चढ़ावे में मिली रकम न देने की दलील रखी। मंदिर के सेवायतों की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि अगर सरकार कॉरिडोर का निर्माण करना चाहती है तो उसे यह काम अपने फंड से ही करना चाहिए।
काशी कॉरिडोर की तरह वृंदावन कॉरिडोर बनाना चाहती योगी सरकार
दरअसल योगी सरकार वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह बांके बिहारी मंदिर का भी कॉरिडोर बनाना चाहती है। सरकार चाहती है कि इसे बनाने में खर्च होने वाली रकम मंदिर में आने वाले चढ़ावे से ले ली जाए। जो कि मंदिर प्रबंधन से चंदे की रकम को देने को तैयार नहीं है। अब हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कॉरिडोर बनाने में कितना खर्च आएगा और उसके पास फंड को लेकर वैकल्पिक व्यवस्थाएं क्या है?
दरअसल योगी सरकार वाराणसी के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह बांके बिहारी मंदिर का भी कॉरिडोर बनाना चाहती है। सरकार चाहती है कि इसे बनाने में खर्च होने वाली रकम मंदिर में आने वाले चढ़ावे से ले ली जाए। जो कि मंदिर प्रबंधन से चंदे की रकम को देने को तैयार नहीं है। अब हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि कॉरिडोर बनाने में कितना खर्च आएगा और उसके पास फंड को लेकर वैकल्पिक व्यवस्थाएं क्या है?
कोर्ट ने अगर मंदिर प्रबंधन के सेवायत कॉरिडोर बनाने में सहयोग तैयार नहीं करते है तो सरकार के पास क्या प्लान है? कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण किस तरह से हुआ और इसके लिए बजट का इंतजाम कैसे हुआ?
5 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट में सुझाव दिया गया कि मंदिर का निर्माण एक ट्रस्ट बनाकर कराया जा सकता है। ट्रस्ट में मंदिर प्रबंधन और सरकार दोनों सहयोग दे सकते हैं। अदालत ने सरकार और सेवायत से ही इस विवाद को निपटाने का फार्मूला बताने को कहा गया है। सेवायतों की तरफ से बताया गया कि मंदिर प्राइवेट प्रॉपर्टी है और इसमें सरकार को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। इस मामले में अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।
यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट में सुझाव दिया गया कि मंदिर का निर्माण एक ट्रस्ट बनाकर कराया जा सकता है। ट्रस्ट में मंदिर प्रबंधन और सरकार दोनों सहयोग दे सकते हैं। अदालत ने सरकार और सेवायत से ही इस विवाद को निपटाने का फार्मूला बताने को कहा गया है। सेवायतों की तरफ से बताया गया कि मंदिर प्राइवेट प्रॉपर्टी है और इसमें सरकार को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। इस मामले में अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।