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मंदसौर

Mere Ram : यहां राम के साथ रावण की भी होती है पूजा, जानिए आखिर क्यों

पत्रिका.कॉम की खास सीरीज मेरे राम में आज हम आपको बता रहे हैं मध्यप्रदेश के उस शहर के बारे में जहां भगवान राम की पूजा तो होती ही है साथ ही साथ रावण भी पूजा जाता है।

मंदसौरJan 22, 2024 / 04:20 pm

Shailendra Sharma

Mere Ram : यहां राम के साथ रावण की भी होती है पूजा, जानिए आखिर क्यों

सालों से चला आ रहा भगवान राम के भक्तों का इंतजार आखिरकार रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के साथ खत्म हो गया है। एक बार फिर भगवान के वनवास से लौटने पर अयोध्या सहित पूरी दुनिया में दीपावली सा त्यौहार मनाया जा रहा है। पत्रिका.कॉम की खास सीरीज मेरे राम में आज हम आपको बता रहे हैं मध्यप्रदेश के उस शहर के बारे में जहां भगवान राम की पूजा तो होती ही है साथ ही साथ रावण भी पूजा जाता है। रावण की बात इसलिए क्योंकि राम की बात हो और रावण का जिक्र न हो तो बात अधूरी सी ही लगती है।

ये है मध्यप्रदेश का मंदसौर जिला..मंदसौर ही वो जगह है जहां राम के साथ रावण की भी पूजा की जाती है और इसकी वजह है रावण का मंदसौर का दामाद होना। किवदंती है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की ही बेटी थी। इसलिए आज भी यहां पर रावण को दामाद माना जाता है। कुछ ग्रंथों में ऐसा जिक्र भी मिलता है कि मंदसौर का प्राचीन नाम दशपुर था। कालीदास की अमर रचना मेघदूत में दशपुर शहर का नाम आता है, कुछ स्थानों पर ये मान्यता भी है कि मंदसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका है। मंदसौर शहर के खानपुरा में रावण की 41 फीट ऊंची प्रतिमा भी स्थापित की गई है जिसकी रोजाना पूजा अर्चना की जाती है। एक खास बात तो ये भी है कि यहां रावण की प्रतिमा के सामने महिलाएं बिना घूंघट के नहीं जाती हैं। बताया ये भी जाता है कि 200 सालों से भी अधिक समय से मंदसौर में रावण की पूजा की जाती है पहले यहां पर रावण की पुरानी मूर्ति थी जिसे कुछ साल पहले नए स्वरूप में स्थापित यहां पर किया गया है।

 

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रावण के मुख्य सिर पर पर लगाया गधे का सिर

https://youtu.be/63aL1JSmqrM

वैसे तो रावण के दस सिर थे इसलिए उसे दशानन भी कहा जाता था लेकिन मंदसौर के खानपुर में स्थित रावण की मूर्ति के 9 सिर हैं और मुख्य सिर के ऊपर गधे का सिर भी लगाया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि 10 सिर होने के बाद भी रावण की बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी और उसने माता सीता का हरण किया था। इसलिए बुद्धिभ्रष्ट होने के प्रतीक स्वरूप यहां रावण के मुख्य सिर पर गधे का सिर लगाया गया है।

रावण की पूजा के पीछे ये हैं मान्यताएं..
– रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की बेटी थी, इसलिए रावण मंदसौर का दामाद था।
– रावण की पूजा करने से रोगों से दूर रहने के साथ मनोकामनाएं पूरी होने की मान्यता है।
– रावण के पैर में धागे बांधने से बीमारियां दूर होती हैं ऐसी भी मान्यता है।

आखिर कौन थी मंदोदरी?
किवदंती के मुताबिक मंदोदरी मंदसौर की बेटी थी लेकिन क्या आपको पता है कि मंदोदरी आखिरकार कौन थी। दरअसल पौराणिक कथाओं के अनुसार मंदोदरी और अप्सरा मधुरा में खास संबंध हैं। अप्‍सरा मधुरा कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की तलाश में पहुंची थी और उसने माता पार्वती के वहां न होने पर मधुरा ने भगवान शिव को रिझाने की कोशिश की थी। बाद में जब पार्वती वहां पहुंची तो मधुरा पर क्रोधित हो उठीं और उसे 12 साल तक मेंढक बनने और कुएं में बनने का श्राप दे दिया। इसी समय कैलाश पर असुरराज मायासुर अपनी पत्नी के साथ बेटी की कामना लिए तपस्या कर रहे थे, दोनों ने 12 वर्ष तप किया। इसी समय मधुरा के श्राप का अंत हुआ तो वह कुएं में रोने लगी, रोने की आवाज सुनकर असुरराज और उनकी पत्नी कुएं के पास पहुंचे तो मधुरा को देख उसे बाहर निकाला और फिर उसकी पूरी बात सुनने के बाद उसे अपनी बेटी मान लिया था। फिर उन्‍होंने मधुरा का नाम बदलकर मंदोदरी कर दिया था।

सीता की तरह मंदोदरी का भी रावण ने किया था हरण?
मंदोदरी और रावण के विवाह को लेकर जो पौराणिक कथा है उसके मुताबिक मंदोदरी के पिता असुरराज मायासुर के महल में एक दिन रावण उनसे मिलने पहुंचा था। जहां उसने पहली बार मंदोदरी को देखा और उन पर मोहित हो गया। उसने मायासुर से मंदोदरी का हाथ मांगा लेकिन मायासुर ने प्रस्ताव ठुकरा दिया जिससे नाराण रावण ने मंदोदरी का हरण कर लिया। इस कारण रावण और असुरराज मायासुर में युद्ध के स्थिति बन गई। लेकिन मंदोदरी जानती थी कि रावण उसके पिता से ज्यादा शक्तिशाली है, इसलिए मंदोदरी ने रावण के साथ रहना स्वीकार कर लिया और इसके बाद रावण ने मंदोदरी से विधि-विधान से विवाह हुआ।

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