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सीने पर खाई गोली
दरअसल पुलिस की नौकरी के दौरान अशोक कुमार ने अपने सीने पर डकैतों की गोली खाई और शहीद हो गए। बेटे की मौत के बाद चार साल से उनके माता पिता दाने दाने को मोहताज होकर जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं। असोक कुमार मंडला जिले के निवास तहसील के कोहानी ग्राम में जन्मे थे। रूपलाल उरैती का बेटा अशोक कुमार उरैति गुना में पुलिस आरक्षक के पद पर तैनात था और 7 फरवरी 2017 को कुख्यात बदमाशों की पेशी कराकर लौट रहा था। तभी रास्ते में बदमाशों ने उनकी बंदूक छीनकर उन पर फायर कर दिया। इसमें अशोक कुमार शहीद हो गए।
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बुढ़ापे का सहारा छिन जाने के बाद शहीद अशोक कुमार के वृद्ध माता पिता की आर्थिक हालत दयनीय हो गई है। मां के पैर के आपरेशन के कारण चलने में बहुत दिक्कत होती है और आंख में कम दिखता है। यही हाल पिता रुपलाल उरैती का है जिनकी एक आंख में मोतियाबिन्द हो जाने से केवल एक आंख से ही देख पाते हैं। बड़ा बेटा जगदीश उरैती ही मजदूरी करके अपने घर परिवार और वृद्ध माता पिता का पालन पोषण कर रहा है। पिता रूपलाल बताते हैं कि बेटे की शहादत पर कई नेता, अधिकारी आए, आवास, सहायता राशि और न जाने कितने दावे और वादे कर गए लेकिन वे सब के सब खोखले और झूठे ही निकले है। कोई मदद नहीं मिली है।