चीनी लड़कियां चाहे किसी भी प्रोफेशनल कोर्स में हों उन्हें इस पाठ्यक्रम का हिस्सा बनना अनिवार्य है। चीन के शीर्ष नेतृत्व को चिंता है कि कहीं शिक्षित महिलाएं पुरुषों से शादी को प्राथमिकता देना बंद करके बिना शादी ही बच्चे गोद ले लें। इससे देश की अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का माहौल उत्पन्न हो जाएगा।
महिलाओं की आजादी पर पाबंदी पिछले साल उत्तरी चीन में एक खबर ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। यहां की एक कंपनी ऐसा पारंपरिक स्कूल चला रही थीं जहां महिलाओं को चुपचाप घरेलू काम करने को कहा गया था। साथ ही अपने पति की हर बात मानने को तैयार रहने के लिए भी प्रशिक्षित किया गया। बीजिंग के एक स्थानीय वेबसाइट पर दिखाई फुटेज में एक प्रशिक्षक उन्हें आदेश देते हुए कह रहा था कि अगर पति पीटें तो वे उसका विरोध न करें। डांटते समय वे न बोलें न बहस करें। चाहे कुछ भी हो वे तलाक लेने के बारे में सोचें भी नहीं।
फुटेज में दूसरा इंस्ट्रक्टर यह कह रहा था कि महिलाओं को समाज में दबकर रहना चाहिए और ज्यादा पाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वीडियो फुटेज के वायरल होने पर स्थानीय अधिकारियों ने इसे समाजवादी मूल्यों का उल्लंघन बताते हुए जांच करने की बात कही। लेकिन बीजिंग स्थित घरेलू-हिंसा विरोधी प्रचारक फेंग युआन ने कहा कि यह सब दिखावा था। वास्तव में इस प्रथा को लगातार बढ़ावा दिया जाता रहा है। समाज महिलाओं को ही नियंत्रित करने में लगा रहता है लेकिन कभी पुरुषों की भूमिकाओं की समीक्षा नहीं होती।