मनीष दूबे बोले-आप ही बताइए हम जहां बैठे हैं, कोई हमें बना सकता है
इसके बाद मनीष ने कहा कि आलोक कह रहा कि उसने ज्योति को पढ़ाया-लिखाया है। पढ़ाने-लिखाने का मतलब हम सब जानते हैं। असल में पढ़ाने-लिखाने का मतलब होता है कि बचपन से पढ़ाया-लिखाया गया हो। आप ही बताइए कि क्या…सच में हम जहां बैठे हैं, कोई हमें बना सकता है?
इसके बाद मनीष ने कहा कि आलोक कह रहा कि उसने ज्योति को पढ़ाया-लिखाया है। पढ़ाने-लिखाने का मतलब हम सब जानते हैं। असल में पढ़ाने-लिखाने का मतलब होता है कि बचपन से पढ़ाया-लिखाया गया हो। आप ही बताइए कि क्या…सच में हम जहां बैठे हैं, कोई हमें बना सकता है?
मनीष दुबे बोले-UPPSC में कितने पेपर होते हैं आलोक को नहीं पता
मनीष दुबे ने कहा, ”आलोक कहता फिर रहा है कि उसने ज्योति को पढ़ाया-लिखाया। अगर उससे पूछ लें कि कितने पेपर होते हैं UPPCS मेंस में? कितने ऑप्शनल होते हैं? वो शायद बता नहीं पाएगा। क्यों इस चीज को इतना बढ़ाया चढ़ाया जा रहा है? मैं भी हैरत में हूं। यह पर्सनल मामला था। इस चीज को वहीं का वहीं खत्म होना चाहिए था।” वीडियो में एक शख्स ने उनसे पूछा कि ज्योति मौर्य से कहां मुलाकात हुई? बातचीत कैसे आगे बढ़ी? तो उन्होंने पर्सनल सवाल कहकर इसे टाल दिया।
”हम अपना काम भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं”
मनीष दुबे ने कहा, “जो बातें हो रही हैं, वो लाई गई हैं। न मैं लेकर आया हूं और न ही वो लड़की लेकर आई है। कोई तीसरा आदमी लेकर आया है। इस परेशानी में हम अपना प्रोफेशनल काम भी ठीक से नहीं कर पा रहे हैं। अब इस मामले में हमारे बोलने से समस्या सुलझेगी नहीं और उलझ जाएगी। हम नियमों से बंधे हैं। अगर मैं या वो आम व्यक्ति होते, शिक्षक होते, तो बोल देते।”
उन्होंने कहा, ”हमारा इस कुर्सी में बैठना गुनाह हो गया। मैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। अच्छी-खासी नौकरी कर रहा था, मगर अब पता नही कहां आकर फंस गया हूं? इस मामले में पहले मीडिया ने नहीं पूछा, तो अब पूछ रही है। मैं एक जिम्मेदार पद पर हूं, इसलिए कुछ भी नहीं बोल सकता।”