जिला शिक्षा विभाग को इस संबंध में शासन से पत्र भी मिला है। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रथम बोर्ड परीक्षा में पंजीकृत छात्र ही द्वितीय बोर्ड परीक्षा देने के लिए शामिल होने के पात्र होंगे। लेकिन, विषय परिवर्तन नहीं होगा। प्रथम बोर्ड परीक्षा के बाद यदि छात्रों को द्वितीय बोर्ड परीक्षा में भी बैठना है तो फिर से आवेदन करना होगा। बोर्ड परीक्षा में जो छात्र पूरक हो या जो छात्र फेल हो और जो छात्र परीक्षा के दौरान अनुपस्थित थे या ऐसे परीक्षार्थी जिनके बोर्ड परीक्षा में कम अंक आए हैं, ऐसे छात्र परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं। अवसर परीक्षा की शेष योजना भी पूर्ववत जारी रहेगी। छात्रों को इसी सत्र से लाभ मिलेगा या नहीं, इस पर संशय बरकरार है।
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द्वितीय परीक्षा का परीक्षा परिणाम दोनाें परीक्षाओं में अधिक प्राप्तांक के आधार पर तैयार किया जाएगा। दोनों परीक्षाओं में जो सबसे अच्छे व ज्यादा अंक हैं। वही परीक्षा परिणाम फाइनल होगा। छात्रों को अंक सुधार का अवसर भी मिलेगा। जिससे उनका रिजल्ट अच्छा हो सके। किसी विषय में कम होने पर भी उस विषय की परीक्षा देने के लिए आवेदन किया जा सकता है। दसवीं और बारहवीं की एक साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित होती है तो छात्रों को सहूलियत भी होगी। उन्हें विषयों की तैयारी करने का भी मौका मिलेगा। छात्र-छात्राओं के अच्छे रिजल्ट भी आ सकते हैं। परीक्षा को लेकर मानसिक तनाव भी कम होगा। इस बारे में महासमुंद जिला शिक्षा अधिकारी मीता मुखर्जी ने कहा कि दो बोर्ड परीक्षाओं के निर्देश प्राप्त हुए हैं। यह व्यवस्था कब से लागू होगी, यह बोर्ड ही बता पाएगा। तनाव होगा कम दो बार बोर्ड परीक्षा कराने का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं को तनाव से मुक्ति दिलाना है। कई छात्र फेल होने के बाद आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं या पढ़ाई छोड़ देते हैं। ऐसे में छात्रों के पास दूसरा अवसर भी होगा। नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों में तनाव को कम करने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
फेल होने पर मिलेगा दूसरा मौका बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाने पर अब छात्रों के पास दूसरा मौका भी होगा कि वो पास हो सकें। सभी विषय में फेल हो जाने वाले छात्रों को अब एक साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। रिजल्ट आने के ठीक दो माह के भीतर वे दूसरी परीक्षा में बैठ सकेंगे। छात्रों के पास दूसरा अवसर भी रहेगा। जिससे छात्रों को एक साल बर्बाद नहीं होगा।