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Agni Chandrakar Death: नहीं रहे कांग्रेस के पूर्व विधायक, CM साय ने जताया दुःख, गृहग्राम में हुआ अंतिम संस्कार

Agni Chandrakar Death: दिग्गज कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर का रविवार को निधन हो गया। रायपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

महासमुंदJun 25, 2024 / 07:33 am

Khyati Parihar

Agni Chandrakar Death: दिग्गज कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर का रविवार को निधन हो गया। रायपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। 71 वर्षीय अग्नि चंद्राकार लंबे समय से बीमार चल रहे थे जिनका लगातार उपचार चल रहा था। निधन की खबर से छत्तीसगढ़ में शोक की लहर दौड़ गई। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने दुःख जताया है। दिवंगत अग्नि चंद्राकार का आज गृह ग्राम लभरा कला में अंतिम संस्कार किया गया।
आज सुबह 10 बजे उनका पार्थिव शरीर महासमुंद लाया जाएगा। स्टेशन रोड स्थित उनके निज निवास और कांग्रेस भवन में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। उनके यहां पहुंचने से पहले सैकड़ों की तादात में लोगों का हुजूम पहुंच चुका था। इसके बाद उनके शव को कांग्रेस भवन ले जाया गया। जहां जिले भर के कांग्रेसी, समर्थक उनकी अंतिम दर्शन के लिए टूट पड़े। भीड़ के बीच ही ठीक सवा 11 बजे उनकी यात्रा उस गांव की ओर निकली, जहां उनका जन्म हुआ था। वहीं अग्नि चंद्राकर का आज यानी 24 जून को उनके गृह ग्राम लभरा कला में अंतिम संस्कार किया गया। अग्नि चंद्राकर के निधन पर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
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Agni Chandrakar Death: उमड़ी लोगों की भीड़

आज सुबह से जन्मस्थली लभराकला को भी आज उनके आने का अंतिम इंतजार था। रात भी की घरों में चूल्हे नहीं जले। होली दीपावली में कुछ लोग ही उनके साथ गांव जाते थे लेकिन महासमुंद से लभराकला तक आज की भीड़ ऐतिहासिक रही। लोग बताते हैं कि अग्नि चंद्राकर की अंतिम यात्रा में जितनी भीड़ आज एकत्र है, वह पहले कही नहीं देखी गई। इससे पहले किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को इतना सम्मान नहीं मिला।
उनके दर्शन के लिए हर वर्ग के गरीब और अमीर लोग दिखे। सभी के आंखों में आंसू था। अग्नि चंद्राकर को लेकर सालों से एक बात प्रचलित थी कि उन्होंने किसी के मन को ठेस नहीं पहुंचाई और अपने पास सहयोग के लिए पहुंचे किसी भी जरूरतमंद को खाली हाथ नहीं लौटाया। वे स्व श्यामाचरण शुक्ल और स्व. अजीत जोगी के काफी करीबी माने जाते थे।

शुक्ल परिवार के थे करीबी

चंद्राकर अपने क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय नेता माने जाते थे। चंद्राकर ने महासमुंद में कई काम किए। महासमुंद की राजनीति में उन्हें पंडित श्यामाचरण शुक्ल और उसके बाद अजीत जोगी का करीबी माना जाता था।

कांग्रेस नेतओं ने जताया दुःख

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शोक व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व विधायक अग्नि चंद्राकर जी के निधन का समाचार दुखद है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति एवं परिवारजनों को संबल दें. ॐ शांति:”
पीसीसी चीफ दीपक बैज ने लिखा, “वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पूर्व विधायक श्री अग्नि चंद्राकर जी के निधन की खबर अत्यंत दुखद है. हम ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और परिजनों को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं. विनम्र श्रद्धांजलि.”

Agni Chandrakar Death: देखिए राजनितिक सफर

> करीब 40 साल तक राजनीति में सक्रिय रहे अग्नि चंद्राकर अपने सरल, सहज स्वभाव, साफ सुथरी राजनीति और सेवा भावना के कारण पक्ष-विपक्ष में समान रूप से लोकप्रिय रहे। महासमुंद विधानसभा क्षेत्र से तीन-तीन बार विधायक चुना जाना उनकी जन स्वीकार्यता और लोकप्रियता का प्रमाण है। विकासखंड फिंगेश्वर के ग्राम सोरिद में दाऊ रमनलाल चंद्राकर के घर 1 जनवरी 1954 को जन्मे, बी-कॉम, एलएलबी, उच्च शिक्षित अग्नि चंद्राकर ने व्यवसाय के रूप में कृषि को ही अपनाया।
> उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 1986 में हुई थी, जब वे ग्राम पंचायत धनसुली के निर्विरोध सरपंच बने। सन् 1993 में महासमुंद विधानसभा क्षेत्र से प्रथम बार निर्वाचित हुए। इसके बाद सन् 1998 में पुन: महासमुंद के विधायक बने। सन् 2000 से 2003 तक भूमि विकास बैंक अध्यक्ष रहे। सन् 2008 में तृतीय बार महासमुंद विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। 2021 में अध्यक्ष, छग राज्य बीज और कृषि विकास निगम रायपुर मनोनीत किए गए। साथ ही उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान किया गया था।
> विधायक के रूप में अग्नि चंद्राकर ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए पूरी तरह समर्पित रहे। महासमुंद जिला निर्माण में उनका बड़ा योगदान रहा। 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश में नए जिलों का घोषणा हुई तो उसमें महासमुंद का नाम नहीं था। रायपुर को विभाजित कर धमतरी को जिला बनाया गया, लेकिन महासमुंद की मांग अनसुनी कर दी गई। अग्नि चंद्राकर ने तत्कालीन मुयमंत्री दिग्विजय सिंह को इस्तीफा भेजकर अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना में बैठ गए। इसके बाद महासमुंद जिला बना।
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