महिला आरक्षण कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश की महिलाओं को बड़ा लाभ मिलेगा। दरअसल महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी यानी एक तिहाई सीटें आरक्षित होने का प्रस्ताव है। इस विधेयक लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायकों और लोकसभा में यहां से चुने जाने वाले सांसदों में महिलाओं की संख्या बढ़ जाएगी।
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यूपी की सियासत में दिखेगा असर
महिला आरक्षण विधेयक पास होने के बाद यूपी की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दरअसल यूपी विधानसभा में 403 सदस्य हैं। इनमें अभी केवल 48 महिलाएं ही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में केवल 12 फीसदी ही उनकी भागीदारी है। विधान परिषद में उनकी भागीदारी मात्र 6 फीसदी है। वहीं, अगर लोकसभा सीटों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में कुल 80 सीटें हैं। इनमें 11 सांसद ही महिलाएं हैं, जो कि महज 14 फीसदी ही महिलाएं प्रतिनिधि है। ऐसे में महिला आरक्षण कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश में महिलाओं की भागेदारी बढ़ेगी। इसके साथ साथ ही विधानसभा, लोकसभा और विधान परिषद में भी महिलाएं की संख्य़ा बढ़ेगी। लोकसभा में 26 सीटें और विधानसभा में 132 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी।
27 सालों से लंबित है महिला आरक्षण विधेयक
बता दें कि करीब 27 सालों से महिला आरक्षण विधेयक लंबित है। सबसे पहले सितंबर 1996 में एचडी देवगौड़ा की सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश किया था। इसके बाद से लगभग हर सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश की लेकिन अभी तक यह बिल कानून नहीं बन पाया है। मंगलवार को मोदी सरकार ने फिर इस बिल को संसद के पटल पर पेश किया है। अब अगर लोकसभा से पारित होता है, तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा।
बता दें कि करीब 27 सालों से महिला आरक्षण विधेयक लंबित है। सबसे पहले सितंबर 1996 में एचडी देवगौड़ा की सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में पेश किया था। इसके बाद से लगभग हर सरकार ने इस विधेयक को पारित कराने की कोशिश की लेकिन अभी तक यह बिल कानून नहीं बन पाया है। मंगलवार को मोदी सरकार ने फिर इस बिल को संसद के पटल पर पेश किया है। अब अगर लोकसभा से पारित होता है, तो राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा।
आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा में केवल 12 फीसदी ही उनकी भागीदारी है। अगर ये बिल पास होता है तो संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटें आरक्षित हो जाएंगी। वहीं, साल 2010 में यूपीपीए सरकार ने ये बिल राज्यसभा में पास करवा लिया था लेकिन लोकसभा में यह बिल लटक गया।