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Zila Panchayat Adhyaksh Chunav : जीतकर भी हार गई समाजवादी पार्टी, आसानी से जीत सकती थी जिला पंचायत की 21 सीटें

Samajwadi Party in UP Zila Panchayat Adhyaksh Chunav- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर चुनाव में मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए नतीजों को लोकतंत्र का तिरस्कार करार दिया

लखनऊJul 04, 2021 / 05:34 pm

Hariom Dwivedi

Why Samajwadi Party lost UP Zila Panchayat Adhyaksh Chunav
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (uttar pradesh assembly elections 2022) का सेमीफाइनल माने जाने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव (Zila Panchayat Adhyaksh Chunav) में भारतीय जनता पार्टी को 67 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की, जबकि समाजवादी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। बीते चुनाव में 63 सीटें जीतने वाली सपा इस बार मात्र 5 सीटों पर सिमट गई। सपा के कई ‘किले’ भी ध्वस्त हो गये। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सरकार पर चुनाव में मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए नतीजों को लोकतंत्र का तिरस्कार करार दिया। सपा प्रमुख भले ही कुछ कहें, लेकिन 21 जिलों में अगर बेहतर प्रबंधन होता तो जिला पंचायत सदस्य संख्या के हिसाब से सपा 21 सीटें जीत सकती थी। इन जिलों में सपा कैंडिडेट या तो नामांकन नहीं कर सके या फिर सदस्यों ने ऐन वक्त पर पाला बदल लिया। प्रदेश के कई जिलों में ‘अपनों’ ने ही समाजवादियों की साइकिल पंचर कर दी।
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Zila Panchayat Adhyaksh Chunav में सपा भले ही इटावा और आजमगढ़ बचाने में सफल रही है, लेकिन मैनपुरी, रामपुर, बदायूं, औरैया और फिरोजाबाद में मिली हार पार्टी को कचोटने वाली है। खासकर मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी में ‘बागी’ सपाई ही पार्टी प्रत्याशी के हार का कारण बने। तीन दशक से यहां जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर सपा का ही कब्जा था, लेकिन इस बार यहां कमल खिला। जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में सपा के 13, भाजपा के आठ, निर्दलीय आठ और कांग्रेस समर्थित एक प्रत्याशी को जीत मिली थी। निर्दलीयों में भी अधिकतर सपा के बागी थे। लेकिन, सपा के कमजोर प्रबंधन और बागियों के चलते यह सीट सपा के हाथ से निकल गई। मुलायम के घर में ही सेंध लगाते हुए बीजेपी ने उनकी भतीजी संध्या यादव को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाया जो पिछली बार सपा से जिला पंचायत अध्यक्ष थीं। नाराज अखिलेश यादव ने नामांकन के बाद ही 11 जिला पंचायत अध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया था, जल्द ही कई और जिलों के सपा नेताओं पर गाज गिर सकती है।

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