बीते कुछ दिनों में कछुओं की तस्करी के मामले बढ़े हैं। इसकी वजह इनका महंगें दामों पर बिकना है। विदेशों में तो इसकी काफी डिमांड है। कछुए का मांस और चिप्स लाखों रुपए किलो के हिसाब से बिकते हैं।
बीते कुछ दिनों में कछुओं की तस्करी के मामले बढ़े हैं। इसकी वजह इनका महंगें दामों पर बिकना है। विदेशों में तो इसकी काफी डिमांड है। कछुए का मांस और चिप्स लाखों रुपए किलो के हिसाब से बिकते हैं।
ये भी पढ़ें: 100 साल से बरकरार है नमक वाली चाय का लाजवाब टेस्ट चंबल नदी में रहते हैं कछुए के कई प्रजाति, बनाए जाते हैं चिप्स चंबल नदी से लगे आगरा के पिनहाट और इटावा के ज्ञानपुरी और बंसरी में निलसोनिया गैंगटिस और चित्रा इंडिका तीन ऐसी फ्रजातियां है, जिनका इस्तेमाल चिप्स बनाने में किया जाता है। कछुए के पेट की स्किन को प्लैस्ट्रान कहा जाता है। इसी प्लैस्ट्रान के चिप्स बनाए जाते हैं।
बंगाल के रास्ते विदेश भेजे जाते हैं ये कछुए प्लैस्ट्रान को काटकर अलग कर लिया जाता है। फिर इसे उबालकर सुखाया जाता है। इसके बाद इसे बंगाल के रास्ते विदेशों में भेज दिया जाता है। गर्मी में प्लैस्ट्रान के चिप्स बनाए जाते हैं तो सर्दियों में जिंदा कछुओं की तस्करी की जाती है। सर्दियों में तस्करी करना गर्मी के मुकाबले आसान है।
कछुए से बनाए जाने वाला सूप बढ़ाता है सेक्स पावर कछुए से सूप भी बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कछुए के सूप से यौन क्षमता बढ़ता है। कुछ लोग इसका मांस भी खाते हैं। कछुए के चिप्स थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में 1 लाख से 2 लाख रुपए में बिकता है।
बता दें कि कछुए की तस्करी करते हुए पकड़े जाने पर 3 से 7 साल तक की सजा है। इसके बावजूद तस्करी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।