मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं जिसके तहत 5 वर्षों में सभी ब्लॉकों में हाईस्कूल और इंटर कॉलेज की स्थापना शामिल है। माध्यमिक शिक्षा के प्रस्तुतिकरण में अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। इसके जरिए 5 वर्षों में विद्यालयों का मूल्यांकन व सर्टिफिकेशन भी किया जाएगा।
दस प्वाइंट्स की होगी ग्रेडिंग प्रणाली प्रदेश के सभी राज्य व निजी विश्वविद्यालय में बीए, बीकॉम और बीएससी के स्नातक पाठ्यक्रमों में सत्र 2022-23 से ग्रेडिंग प्रणाली लागू होगी। यह ग्रेडिंग प्रणाली 10 प्वाइंट्स की होगी। ग्रेडिंग व्यवस्था में मुख्य या माइनर विषयों के प्रत्येक लिखित या प्रयोगात्मक परीक्षा का उत्तीर्ण प्रतिशत वर्तमान में प्रचलित 33% ही रहेगा। सह-पाठ्यक्रम कोर्स व तृतीय वर्ष में लघु शोध में उत्तीर्ण करने के लिए न्यूनतम 40% अंक आवश्यक होंगे, चार कौशल विकास कोर्स में उत्तीर्ण होने के लिए भी 40% अंक लाने होंगे।
छात्रों में किया जाएगा कौशल विकास विद्यार्थियों को रोजगार परक शिक्षा के लिए कौशल विकास का प्रशिक्षण और प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। सभी विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, रियल टाइम मॉनिटरिंग, स्टूडेंट ट्रैकिंग सिस्टम और एकीकृत डाटा प्रबंधन प्रणाली की स्थापना लागू की जाएगी।
राजकीय विद्यालयों में वाई-फाई की सुविधा योगी के निर्देशों के बाद आगामी 100 दिनों में राजकीय विद्यालयों में वाई-फाई की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। सभी विद्यालयों की वेबसाइट बनाई जाएगी। सभी छात्रों की ईमेल आईडी बनेगी। राजकीय विद्यालयों में बायोमेट्रिक उपस्थिति शुरू की जाएगी। कैरियर काउंसलिंग पोर्टल “पंख” का विकास किया जाएगा। विद्यार्थी ऑनलाइन अनुश्रवण श्रेणी करण और ई-लाइब्रेरी पोर्टल का विकास किया जाएगा।
मदरसों को नहीं मिलेगा अनुदान मदरसों को सरकार की ओर से दिए जाने वाले अनुदान को योगी सरकार समाप्त करने जा रही है। इसके लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है। जिसे कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा। योगी सरकार ने फैसला लिया है कि अब किसी भी मदरसे को सरकार की ओर से अनुदान नहीं दिया जाएगा। प्रदेश के 558 मदरसों को सरकार की ओर से 866 करोड रुपए का अनुदान दिया जाता था। पिछले कार्यकाल में ये खुलासा हुआ था कि कागजों पर मदरसे चला कर अनुदान के पैसे को दुरुपयोग हो रहा है जिसके बाद सरकार ने अनुदान पर रोक लगा दी थी। सपा सरकार में मदरसों के अनुदान देने के लिए वर्ष 2013 में अनुदान नीति बनाई गई थी। जिसका हवाला देते हुए मदरसों के प्रबंधको ने कोर्ट में अनुदान की मांग की। अब सरकार अनुदान नीति को ही समाप्त करने जा रही है।